जब राम पर गाना गाने के बीच ही रोक दी गई थीं मालिनी अवस्थी, 19 साल बाद उसी गाने को किया परफॉर्म
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Malini Awasthi ने राम जन्मभूमि में राम लला के लिए सोहर गीत गाकर पूरा समा बांध दिया था. वो अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अपने अनुभव को हमसे शेयर करती हैं.
अयोध्या की नगरी में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की साक्षी बनीं लोकगीत गायिका मालिनी अवस्थी खुद को खुशनसीब मानती हैं कि उन्हें यह सुनहरा मौका मिला है. मालिनी अपने एक्सपीरियंस को शब्दों में बयां करते हुए भावुक भी हो जाती हैं.
अपने एक्सपीरियंस पर मालिनी कहती हैं, 'मैं बस यही कह सकती हूं कि यह मेरी जीवन का सबसे खूबसूरत दिन था. हालांकि इस दिन की कल्पना बहुत की थी, लेकिन वास्तविक उस कल्पना से भी ज्यादा भव्य और सुंदर है. आज बिलकुल आनंद का उत्सव था, आनंद बरस रहा था. चारों ओर संत साधू, नेतागण, आर्टिस्ट्स सभी राम लला की जयकार लगा रहे थे. ऊपर से फूलों की बारिश ने तो हमें और उत्साहित कर दिया था. हम सभी आर्टिस्ट वहां बैठकर भजन में रमे थे. ये बिलकुल ऐसा दिन था, जो सदियों में एक बार ही आता हो शायद.'
'हर स्टेट से आया था वाद्ययंत्र', बिना किसी तैयारी के किया परफॉर्म
इवेंट की तैयारी पर बात करते हुए मालिनी बताती हैं, 'ये वक्त तो बधाई देने वाला था न. हम उत्सव मना रहे थे. हमारे यहां लोक परंपरा वाले गीत तो उत्सवों के प्रतीक रहे हैं. मैं भगवान राम के जन्म पर कितने गाने गाती रही हूं और आज तो प्रभु साक्षात सामने अवतरित हो रहे हैं. ये वही राम लल्ला हैं, जिनके लिए कितना संघर्ष हुआ. हम लगभग साढ़े पांच सौ सालों से उनके लिए लड़े हैं. उन गीतों को गाते हुए एक अलग ही खुशी थी. यकीन मानें, वहां कीर्तन में शामिल किसी भी सिंगर ने कोई तैयारी नहीं की थी. सबसे अनोखी बात वहां की यही थी कि पूरे देशभर के अलग-अलग राज्यों से वाद्ययंत्र इस मंडली में शामिल थे. मणिपुर से लेकर केरल, कश्मीर, पंजाब, गुजरात आदि सभी स्टेट से स्पेशल वाद्ययंत्र मंगाए गए थे. अनुराधा पोडवाल, शंकर महादेवन, सोनू निगम, हरी हरन जी और हम सभी ने मिलकर गाना गाया. मैंने तो रामजी के जन्म पर सोहर गीत गाए. ये महसूस हो रहा था कि पता नहीं प्रभु की हम पर क्या कृपा है या हमारे पूर्वजों ने क्या पुण्य किए थे कि हमें सुर सेवा का अवसर मिला. सच में फिलहाल जिस इमोशन से मैं गुजर रही हूं, उसे बयां नहीं किया जा सकता है. आज का पूरा कार्यक्रम बहुत ही सौम्यता के साथ संपन्न हुआ. वहां हर कोई भक्त ही नजर आ रहा था. हम सभी वहां खड़े होकर रो रहे थे.'
'राम का गाना गाने पर बीच में ही रोक दिया था' मालिनी आगे कहती हैं, 'मुझे याद है 2005 की बात है. मैं दूरदर्शन में एक गानों की रिकॉर्डिंग के लिए गई हुई थी. मैंने दो गानों के बाद एक गाना गाया, जिसका पहला अंतरा रिकॉर्ड हो भी गया था. लेईलें जन्म अयोध्या में हो राजा.. जिसके बोल कुछ इस प्रकार थे. वहां मुझे बीच गाने की रिकॉर्डिंग में रोक दिया गया. उन्होंने कहा कि आप कोई और गाना चुन लें, लेकिन इस गाने को नहीं गाएं. पहले तो मुझे आश्चर्य हुआ, लगा कि कोई टेक्निकल प्रॉब्लम हुई है, जिसकी वजह से रोका गया था. बाद में मुझे उन्होंने साफ लहजे में कहा कि आप इस गाने को मत गाएं, क्योंकि अभी तो कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. मैंने कहा कि कैसी बात करते हैं आप? यह तो हमारे पूर्वज गाते रहे हैं. आपकी यह कोर्ट वाली चीजें वहां पर फैसला करें, मुझे न बताएं. फिर भी गाने नहीं दिया. मैं गुस्से में रिकॉर्डिंग को बीच छोड़कर आ गई.
मैंने कहा कि आपको इसे प्रसारण करना है, तो देख लें. मैं अब नहीं गा पाऊंगी. मैंने वो गाना कभी दोबारा गाया ही नहीं. लोग यहां असहिष्णुता की बात करते हैं. हम तो एक लंबे समय से इसे झेल रहे थे. हमारे कलाकारों को भी तो राम के गीत गाने के लिए 19 साल तक कोर्ट के आदेश का इंतजार करना पड़ा था. हमारी कैसी परीक्षा ली गई थी. आज जब राम आए हैं, तो 19 साल बाद मैं उस गाने को अयोध्या के ही एक कार्यक्रम में परफॉर्म करने जा रही हूं. शो की शुरूआत मैं इसी गाने से करने वाली हूं. देखिए समय कितना बलवान है, 19 साल पहले एक सत्ता थी, जो राम के गीत गाने पर मना करती थी और आज पूरा देश राममय हो चुका है. राम भारत की संस्कृति हैं, जो राम को समझ गया वो भारत को समझ जाएगा.'