
जब प्रेम चोपड़ा ने फिल्म के लिए शादी के बहाने, बधाई मिली तो बोले- लड़की छोड़कर चली गई
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बॉलीवुड के सबसे आइकॉनिक विलेन्स में से एक प्रेम चोपड़ा, आए तो हीरो बनने थे. शुरू में जेब जरा टाइट थी तो पहले फिल्मों में काम ढूंढने के साथ नौकरी करने लगे. और जब एक्टिंग का काम मिलने लगा तो लम्बी छुट्टी लेनी पड़ती. तो प्रेम चोपड़ा ने एक से एक क्रिएटिव बहाने ईजाद करने शुरू किए. आइए बताते हैं ऐसे एक बहाने का किस्सा.
हिंदी फिल्मों के हीरो को एक स्क्रीन तोड़ नायक बनाने में आइकॉनिक विलेन्स का बहुत बड़ा योगदान है. हिसाब सीधा सा है, जितना बड़ा विलेन हीरो का असर भी उतना ही तगड़ा. इन बड़े-बड़े विलेन्स का जिक्र करते हुए एक लाइन याद किए बिना आगे बढ़ पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है- 'प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा.'
प्रेम साहब बॉलीवुड के उन आइकॉनिक विलेन्स में से एक हैं, जिन्होंने स्क्रीन पर इतने शैतान किरदार निभाए कि रियल लाइफ में लोग उनसे मिलने में घबराते थे. एक इंटरव्यू में बात करते हुए प्रेम चोपड़ा ने बताया था कि उनकी ऑनस्क्रीन इमेज का खौफ ऐसा था, कि जब लोग उनसे ऑफ स्क्रीन मिलते तो अपने बीवी-बच्चों को दूर खड़ा कर दिया करते थे.
लेकिन बेहद डैशिंग पर्सनालिटी वाले प्रेम साहब शिमला से मुंबई आए तो हीरो बनने ही थे. और बतौर हीरो वो शुरुआत में कुछ कामयाब भी हुए, मगर फिर किस्मत ऐसी पलटी कि वो स्क्रीन पर सबसे खौफनाक विलेन्स में से एक बन गए.
पिता चाहते थे डॉक्टर बने बेटा प्रेम चोपड़ा ने कई बार अपने इंटरव्यूज में कहा है कि उनके पिता चाहते थे कि वो डॉक्टर बनें और मेडिकल की पढ़ाई करें. उनके पिता को अपने पांच बेटों और एक बेटी में से सबसे लायक प्रेम ही लगते थे और वो खुद डॉक्टर नहीं बन सके थे, इसलिए चाहते थे कि उनका लायक बेटा, उनका ये सपना पूरा करे.
हालांकि, प्रेम साहब को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी, इसलिए जब शिमला में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो कॉलेज पहुंचे तो आर्ट्स पढ़ने लगे. यहीं पर प्रेम चोपड़ा ने ड्रामा सोसाइटी जॉइन की और नाटक वगैरह करने शुरू किए. दोस्तों और जानकारों ने भी उनका टैलेंट और पर्सनालिटी देखकर सलाह दी कि तुम एक्टिंग में ही ट्राई करो, चल जाओगे.
मुंबई जाना है तो नौकरी करो प्रेम चोपड़ा ने बताया कि जब उन्होंने अपने पिताजी को एक्टिंग में किस्मत आजमाने की बात बताई तो जवाब मिला कि उन्हें पहले ग्रेजुएशन पूरी कर लेनी चाहिए और मुंबई जाकर कोई नौकरी खोजनी चाहिए ताकि वहां टिका जा सके. प्रेम ने बिल्कुल यही किया और एक जाने-माने अखबार के सर्कुलेशन डिपार्टमेंट में नौकरी करने लगे. ट्रेन में सफर करने के दौरान एक अजनबी ने प्रेम साहब को देखा और उनसे पूछा कि क्या वो फिल्मों में आना चाहते हैं?

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