जब छोटी और बड़ी कार में होती है टक्कर! VOLVO ने वीडियो में दिखाया कैसे और कितना होता है नुकसान
AajTak
Volvo ने अपनी बड़ी एसयूवी EX90 को लॉन्च करने से पहले बार-बार इस बात पर जोर दिया कि, कंपनी ने अपनी नई इलेक्ट्रिक एसयूवी में सेफ्टी लेवल को बढ़ाने के लिए कितना काम किया है. इसी तरह का दावा कंपनी ने अपनी छोटी कार EX30 के लॉन्च के दौरान भी किया. अब कंपनी ने दोनों का क्रैश टेस्ट किया है.
क्या हो अगर किसी बड़ी स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (SUV) और एक छोटी हैचबैक कार में टक्कर हो. सैद्धांतिक रूप से छोटी कार को इस एक्सीडेंट में ज्यादा नुकसान होगा. इतना ही नहीं छोटी कार में बैठे यात्रियों की जान पर भी बन सकती है. हालांकि ये अलग-अलग एक्सीडेंट और परिस्थितियों में इसका परिणाम भी भिन्न हो सकता है. लेकिन स्वीडन की प्रमुख कार निर्माता कंपनी Volvo ने अपनी ही दो कारों (छोटी और बड़ी) के बीच एक क्रैश टेस्ट कर ये समझाने की कोशिश की है कि, इस तरह के टक्कर में किसका और कितना नुकसान होगा.
वोल्वो ने अपनी बड़ी एसयूवी EX90 को लॉन्च करने से पहले बार-बार इस बात पर जोर दिया कि, कंपनी ने अपनी नई इलेक्ट्रिक एसयूवी में सेफ्टी लेवल को बढ़ाने के लिए कितना काम किया है. लगभग हर नई रिलीज़ में ये बात कही गई है कि "Volvo EX90 में स्टैंडर्ड सेफ्टी पहले की किसी भी वोल्वो कार की तुलना में अधिक है." इतना ही नहीं वोल्वो अपनी इस कार को लेकर यह भी दावा करता आया है कि, EX90 में दी गई सेंसिंग टेक्नोलॉजी कार के बाहर और भीतर एक अदृश्य कवच की तरह काम करता है.
वोल्वो ने इसी तरह का दावा अपनी नई कार EX30 के लॉन्च के दौरान भी किया. कंपनी ने कहा कि, नई इलेक्ट्रिक कार EX30 की सेफ्टी तकनीक कार में बैठे यात्रियों को पूरी तरह से सुरक्षित रखता है. इसे ख़ास तौर पर रियल वर्ल्ड सेनेरियो को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. वोल्वो ने अपनी इस बात को सही साबित करने के लिए छोटी कार EX30 और अपनी सबसे बड़ी कार EX90 के बीच एक साइड इम्पैक्ट क्रैश टेस्ट किया है.
क्या है वोल्वो का क्रैश टेस्ट:
EX30 की सेफ्टी को साबित करने के लिए वोल्वो ने इसका परीक्षण इन-हाउस क्रैश-टेस्ट लैब में किया है. रिपोर्टों के अनुसार, Volvo EX30 को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि, दुर्घटना के दौरान कार के बॉडी स्ट्रक्चर के आसपास लगने वाले सभी इम्पैक्ट को ये तितर-बितर (Disperse) करता है. यानी कि फोर्स किसी एक जगह न लग कर अलग-अलग हिस्सों में बंट हो जाता है. इसके अलावा, EX30 और EX90 दोनों के लोअर स्ट्रक्चर को ऐसा डिज़ाइन किया गया है कि ये क्रैश के दौरान इम्पैक्ट को ज्यादा से ज्यादा ऑबजर्व कर लेते हैं. इससे बड़ी कार से छोटी कार को आपकी उम्मीद के अपेक्षा से कम क्षति होगी.
वोल्वो के इस क्रैश टेस्ट का वीडियो युट्यूब पर 'Thom Lov' द्वारा अपलोड किया गया है. जिसमें देखा जा सकता है कि, किस तरह से बड़ी एसयूवी EX90 और छोटी इलेक्ट्रिक कार EX30 के बीच साइड इम्पैक्ट क्रैश टेस्ट किया गया है. हालांकि कंपनी ने इसके इंटीरियर की तस्वीरें या वीडियो सार्वजनिक नहीं की है. लेकिन ऑटोब्लॉग की रिपोर्ट में वोल्वो कार सेफ्टी सेंटर के लोटो जैकबसन के हवाले से बताया गया है कि, डेटा से पता चला है कि इस क्रैश में छोटी कार में बैठाए गए दो फीमेल डमी सुरक्षित थीं, उन्हें कम से कम चोट आई थी.
Drone Delivery: ड्रोन का इस्तेमाल अब खेती से लेकर डिलीवरी और युद्ध तक में हो रहा है. हालांकि, शहरों और रिमोट एरिया में ड्रोन डिलीवरी में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. इसकी वजह इनकी पहुंच का आसान होना है. जहां रिमोट एरिया में रास्तों की चुनौती होती है, तो शहरों में ट्राफिक इन रास्ते का रोड़ा होता है. ऐसे में ड्रोन्स कैसे डिलीवरी के क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं.