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चीन चलेगा... लेकिन चुभ रहा इंडिया... 5 दिन में ट्रंप का 5 बार छलका दर्द
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एलॉन मस्क की अगुवाई में DOGE ने 16 फरवरी को 15 तरह के प्रोग्राम्स की फंडिंग रोक दी. इनमें भारत को दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए की फंडिंग भी शामिल है. ट्रंप ने 19 फरवरी को इसकी जानकारी सार्वजनिक करते हुए कहा था कि हम भारत को 21 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 182 करोड़ रुपये क्यों दे रहे हैं?
अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभाले डोनाल्ड ट्रंप को अभी एक महीना ही हुआ है. लेकिन इस एक महीने में उन्होंने दुनियाभर की सियासत में भूचाल ला दिया है. उन्होंने कभी कनाडा और गल्फ ऑफ मेक्सिको को अमेरिका में शामिल करने का शिगुफा छेड़ा तो कभी ट्रेड और टैरिफ के बहाने चीन से लेकर पनामा तक में हलचल ला दी. लेकिन अब लगने लगा है कि ट्रंप को भारत से कुछ दिक्कत है. वह पिछले एक हफ्ते में रोजाना भारत का नाम लेकर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. लेकिन सवाल है क्यों?
तारीख थी 16 फरवरी. एलॉन मस्क के DOGE ने लिस्ट जारी कर 15 तरह के प्रोग्राम्स की फंडिंग रोक दी. इनमें भारत को दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए की फंडिंग भी रद्द कर दी गई. ट्रंप ने 19 फरवरी को इसकी जानकारी सार्वजनिक करते हुए कहा था कि हम भारत को 21 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 182 करोड़ रुपये क्यों दे रहे हैं? उनके (भारत) पास बहुत पैसा है. भारत दुनिया के सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले देशों में है. मैं भारत और उनके प्रधानमंत्री का सम्मान करता हूं. लेकिन 21 मिलियन डॉलर क्यों?
भारत को लेकर ट्रंप के इस बयान से विवाद खड़ा हो गया. ट्रंप इस पूरी कॉन्फ्रेंस में बार-बार कहते रहे कि अमेरिका भारत को चुनाव के दौरान वोटर टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर 182 करोड़ रुपये क्यों दें?
हालांकि, भारत को लेकर ट्रंप का बयान यहीं नहीं थमा. उन्होंने अगले दिन यानी 20 फरवरी को फिर कहा कि भारत में वोटर टर्नआउट बढ़ाने के नाम पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन का प्लान 182 करोड़ रुपये देकर किसी और को चुनाव जिताने का था.
ट्रंप ने फ्लोरिडा के मियामी में FII Priority Summit को संबोधित करते हुए कहा था कि हमें भारत में इतना पैसा खर्च क्यों करना है? वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए दो करोड़ डॉलर? मुझे लगता है कि वे (बाइडेन प्रशासन) भारत में किसी और को जिताना चाहते थे. हमें इस बारे में भारत सरकार से बात करनी होगी.
उन्होंने कहा कि मेरे राष्ट्रपति बनने से पहले सरकारी खजाने का मनमानी तरीके से इस्तेमाल हो रहा था. वोटर टर्नआउट के नाम पर अमेरिकी संस्था यूएसएड ने भारत को वोटर टर्नआउट के लिए 182 करोड़ रुपये का फंड दिया. अमेरिकी चुनाव में रूस ने 2000 डॉलर का इंटरनेट विज्ञापन दिया तो इसे मुद्दा बना दिया गया. लेकिन जबकि अमेरिका, भारत को बड़ी रकम दे रहा था.