गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर, फंदे में पुलिस... कोर्ट में इन 5 दलीलों ने खोल दी CBI की क्लोजर रिपोर्ट की पोल
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जिंदा तो जिंदा मुर्दा आनंदपाल भी अब राजस्थान पुलिस का पीछा नहीं छोड़ रहा. सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट को खारिज करते हुए जोधपुर सीबीआई कोर्ट ने अब आनंदपाल का एनकाउंटर करने वाले उन सात पुलिस वालों के खिलाफ मर्डर केस दर्ज करने का आदेश दिया है, जिन्हें कभी आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद तमगो से नवाज़ा गया था.
जब तक वो जिंदा रहा पूरे दो सालों तक पांच राज्यों की पुलिस के लिए छलावा बना रहा. जब उसकी मौत हुई तो उसके अंतिम संस्कार के लिए पुलिस को 20 दिनों का इंतज़ार करना पड़ा. और अब जब उसकी मौत के बाद उसके एनकाउंटर के मामले पर सीबीआई ने क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल की, तो यही क्लोज़र रिपोर्ट एक बार फिर पुलिस के गले की फांस बन गई. कोर्ट ने राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर में शामिल तमाम पुलिस वालों के खिलाफ क़त्ल का मुकदमा चलाने का हुक्म दे दिया है.
सात पुलिस वालों के खिलाफ मर्डर केस यानी जिंदा तो जिंदा मुर्दा आनंदपाल भी अब राजस्थान पुलिस का पीछा नहीं छोड़ रहा. सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट को खारिज करते हुए जोधपुर सीबीआई कोर्ट ने अब आनंदपाल का एनकाउंटर करने वाले उन सात पुलिस वालों के खिलाफ मर्डर केस दर्ज करने का आदेश दिया है, जिन्हें कभी आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद तमगो से नवाज़ा गया था.
कौन था आनंदपाल? लेकिन फिर सवाल ये है कि जिस सीबीआई ने अपनी तफ्तीश में आनंदपाल के एनकाउंटर को सही पाया था, आखिर अदालत में वही तफ्तीश झूठी या फिर यूं कहें कि गलत कैसे साबित हो गई? आख़िर ऐसा क्या हुआ कि कोर्ट ने क्लोज रिपोर्ट को खारिज कर पुलिसवालों पर केस चलाने का आदेश दे दिया? तो इस कहानी को समझने के लिए आपको ये जानना होगा कि आनंदपाल के घरवालों ने आखिर इस एनकाउंटर के खिलाफ अदालत में ऐसे कौन से तर्क पेश किए, जिनके सामने सीबीआई की पूरी जांच रिपोर्ट ही हवा-हवाई साबित हो गई? लेकिन आपको ये सारी बातें सिलसिलेवार तरीक़े से बताएं, उससे पहले आइए जल्दी से ये जान लेते हैं कि आखिर आनंदपाल था कौन? और उसका एनकाउंटर कैसे हुआ, जो सवालों के घेरे में आ गया.
24 जून 2017 को मारा गया था आनंदपाल राजस्थान के नागौर जिले से आने वाला गैंगस्टर आनंदपाल सिंह अपने खूंखार अंदाज के लिए जाना जाता था. उसके सिर पर 7 से ज्यादा कत्ल समेत कई संगीन इल्ज़ाम थे और एक बार गिरफ्तार होने के बाद वो पुलिस को चकमा दे कर ऐसे भागा कि फिर कभी पकड़ में नहीं आया. सिर्फ राजस्थान ही नहीं मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश आनंदपाल का दो सालों तक पीछा करती थी. और आखिरकार राजस्थान पुलिस की एसओजी और चूरू पुलिस ने आनंदपाल को 24 जून 2017 को एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया.
एनकाउंटर की कहानी, पुलिस की जुबानी पुलिस ने बताया कि आनंदपाल का पीछा करने के दौरान उन्हें उसके दो भाइयों विक्की उर्फ रूपेश और देवेंद्र उर्फ गट्टू के बारे में जानकारी मिली, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उसके बाद उनके बताए मुताबिक आनंदपाल की लोकेशन पता चली, जो चूरू जिले का मालासर गांव था. यहां आनंदपाल एक मकान की छत पर छिपा था. पुलिस ने पूरे मकान को घेर लिया और इसके बाद आनंदपाल को सरेंडर करने को कहा गया. ये भी कहा कि उसका भाई पुलिस के पास है, इसलिए वो सरेंडर कर दे. लेकिन पुलिस की मानें तो आनंदपाल ने छत से पुलिस वालों पर एके-47 जैसे खतरनाक हथियार से फायरिंग की शुरू कर दी. और जब पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, तो पुलिस की गोली से आनंदपाल मारा गया.
20 दिनों तक लाश के साथ प्रदर्शन लेकिन चूंकि आनंदपाल के घरवालों और उसके चाहने वालों के मुताबिक पुलिस का ये एनकाउंटर झूठा था, उन्होंने इस मामले में दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई होने तक आनंदपाल की लाश का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया. तब करीब 20 दिनों तक लोग आनंदपाल की लाश के साथ प्रदर्शन करते रहे. और आखिरकार तत्कालीन राजस्थान सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई के हवाले कर दी. सीबीआई ने मामले की जांच की और एनकाउंटर को लेकर कही गई पुलिस की बातों को सही पाया और अपनी तफ्तीश के बाद साल 2020 में इस मामले में क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दी.
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