खेल-खेल में बच्चे सीख रहे संस्कृत, दिल्ली सरकार ने शुरू की स्पेशल समर वर्कशॉप
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भारतीय संस्कृति से जुड़ी संस्कृत भाषा का ज्ञान छात्रों में पिरोने के लिए दिल्ली संस्कृत अकादमी अलग अलग स्कूलों में खास तरह की वर्कशॉप चला रही है. ये वर्कशॉप सामान्य क्लासरूम जैसे नहीं हैं, क्योंकि इसमें शिक्षक का पढ़ाने का तरीका भी काफी अलग है. बच्चों को यहां कहानी, डांस, गानों और कविताओं के जरिए संस्कृत भाषा सिखाई जा रही है.
गर्मी की छुट्टियों में बच्चे कुछ नया सीखें, इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार के स्कूलों में समर वर्कशॉप का आयोजन किया गया है. इस वर्कशॉप में बच्चे पढ़ने लिखने के साथ तरह तरह की एक्टिविटीज़ में हिस्सा ले रहे हैं. खास बात ये है कि ये वर्कशॉप तब तक चलाया जाएगा जब तक बच्चों कि छुट्टियां चल रही हैं.
अलग अलग स्कूलों में अलग अलग एक्टिविटीज़ सिखाई जा रही हैं. इसके तहत दिल्ली संस्कृत अकादमी के जरिए एक खास और मस्ती से भरा वर्कशॉप चलाया जा रहा है. अक्सर जहां बच्चे संस्कृत पढ़ने से डरते हैं, वहीं इस वर्कशॉप के जरिए वो हंसते खेलते संस्कृत भाषा को सीख रहे हैं.
भारतीय संस्कृति से जुड़ी संस्कृत भाषा का ज्ञान छात्रों में पिरोने के लिए दिल्ली संस्कृत अकादमी अलग अलग स्कूलों में खास तरह की वर्कशॉप चला रही है. ये वर्कशॉप सामान्य क्लासरूम जैसे नहीं हैं, क्योंकि इसमें शिक्षक का पढ़ाने का तरीका भी काफी अलग है. बच्चों को यहां कहानी, डांस, गानों और कविताओं के जरिए संस्कृत भाषा सिखाई जा रही है.
इस वर्कशॉप में बच्चे भी उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं. बच्चों के उत्साह और पढ़ाने के इस खास तरीके के बारे में वर्कशॉप कर रहे बच्चों ने बताया कि पहले उन्हें संस्कृत बहुत कठिन लगती थी, संस्कृत की क्लासरूम में कुछ समझ नहीं आता था. लेकिन अब इस वर्कशॉप में बड़ी आसानी से संस्कृत सीख रहे हैं.
संस्कृत में अपना परिचय देते हुए प्रतिभा विकास विद्यालय कि 10वीं कि एक छात्रा ने बताया कि पहले उसके लिए संस्कृत किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन आज वो संस्कृत को बहुत पसंद करने लगी है और उम्मीद है कि 10वीं में उनके संस्कृत में अच्छे नंबर आएंगे.
दरअसल, बच्चों को खेल खेल में संस्कृत सिखाने के लिए उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक भी काफी मेहनत कर रहे हैं. इस वर्कशॉप में पढ़ाने वाली टीचर ने बताया कि आमतौर पर बच्चों को ब्लैक बोर्ड के जरिए पढ़ाया जाता है. इसमें बदलाव करके उन्होंने मस्ती की पाठशाला में मस्ती के जरिए संस्कृत सिखाने की शुरुआत की गई है. बच्चों को संस्कृत समझ आ सके और वो संस्कृत को अपनी रोजमर्रा कि जिंदगी में अपना सकें, इसलिए उन्हें आम दिनों में इस्तेमाल होने वाले शब्द खासतौर पर सिखाए जा रहे हैं.
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