क्यों ईरानियों के लिए खास है ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद, जहां से ईरान के सुप्रीम लीडर ने भरी हुंकार
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इजरायल और ईरान के टकराव के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई ने राजधानी तेहरान में स्थित ऐतिहासिक ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद में केवल ईरान ही नहीं बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों को एकजुट होने का संदेश दिया. आइए विस्तार से जानते हैं इस मस्जिद के बारे में.
इजरायल और ईरान के बीच चल रहे टकराव के दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई ने राजधानी तेहरान में स्थित ऐतिहासिक ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद में केवल ईरान ही नहीं बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों को एकजुट होने का संदेश दिया. ईरान के लोगों के लिए आज का दिन दो मायनों में बेहद खास था. पहला जुमे की नमाज और दूसरा इजरायल के हमले में मारे हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह का अंतिम संस्कार (फ्यूनरल). शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग ग्रैंड मस्जिद में नमाज के लिए जुटे थे.
क्यों खास है ग्रैंड मस्जिद
ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद ईरान के तेहरान में स्थित एक बेहद विशाल मस्जिद है. यहां हर शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए सैकड़ों नमाजी जमा होते हैं. इसके साथ ही यह मस्जिद ईरान में होने वाले ऐतिहासिक कार्यक्रमों (इवेंट्स), सांस्कृतिक, राजनीतिक, शैक्षिक, मजहबी जलसों, पुस्तक मेले, प्रदर्शनियों और धार्मिक समारोह का भी गवाह रहा है.
ईरान के तेहरान में ग्रैंड मोसल्ला मस्जिद की स्थापना 1982 में हुई थी. claurban.com के अनुसार, सबसे पहले तेहरान विश्वविद्यालय की जगह जुमे की साप्ताहिक नमाज के लिए एक विशाल मोसल्ला मस्जिद का प्रस्ताव रखा गया था. मस्जिद की संरचना का श्रेय ईरानी वास्तुकार परविज मोयेद को दिया जाता है जिन्हें इस बड़े पैमाने की परियोजना के निर्माण और पर्यवेक्षण के लिए चुना गया था. फारसी-इस्लामिक वास्तुकला वाली इस मस्जिद का संपूर्ण वजूद 1990 के दशक में देखने को मिलता है.
ऐसे तैयार हुई ईरान की ग्रैंड मस्जिद
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ग्रैंड मस्जिद के निर्माण के लिए 1985 को एक सार्वजनिक घोषणा जारी की गई थी जिसमें मस्जिद के डिजाइन के लिए ड्राफ्ट प्रस्तुत करने के लिए प्रतिभाशाली और अनुभवी डिजाइनरों को बुलाया गया. साल 1986 में ईरान के जाने-माने लोगों को बतौर जूरी के रूप में मस्जिद के निर्माण कार्य में शामिल किया गया था. इसके अलावा इसमें जापान, सीरिया, पाकिस्तान और नीदरलैंड जैसे देशों के दिग्गज इंजीनियर, वास्तुकार और आर्किटेक्चर भी शामिल थे.
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