क्या UPSC किसी IAS की नौकरी खत्म कर सकता है? जानिए- कौन ले सकता है पूजा खेडकर पर एक्शन
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IAS पूजा खेडकर का महाराष्ट्र से ट्रेनिंग प्रोग्राम रद्द कर दिया गया है. पूजा खेडकर मामले की जांच में पुलिस जुटी हुई है. यूपीएससी ने पूजा खेडकर के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर दी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या यूपीएससी किसी IAS ऑफिसर को नौकरी से निकाल सकता है या नहीं.
पुणे कलेक्टर कार्यालय में तैनात महाराष्ट्र कैडर की प्रोबेशनरी आईएएस अफसर पूजा खेडकर के फेक सर्टिफिकेट और दिव्यांग कोटे का विवाद काफी समय से चल रहा है. विवादों में घिरने के बाद उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन एकेडमी ने पूजा खेडकर का महाराष्ट्र से ट्रेनिंग प्रोग्राम रद्द कर दिया है. इसके साथ ही एकेडमी ने उन्हें तत्काल वापस बुलाने के लिए लेटर भी जारी किया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या द्वारा UPSC IAS, IRS या IFS अफसर पद पर तैनात शख्स की नौकरी खत्म की जा सकती है.
अनफेयर मीन्स में शामिल IAS के खिलाफ पहले होती हैं जांच
UPSC की परीक्षा देश की कठिन परीक्षाओं में से एक है. हर साल लाखों कैंडिडेट्स IAS, IRS या IFS पद के लिए कड़ी मेहनत करके एग्जाम देते हैं, लेकिन कुछ ही इस पद तक पहुंच पाते हैं. एक आईएएस के पास जिले के सभी विभागों की जिम्मेदारी होती है. वह जिलाधिकारी के रूप में पुलिस विभाग के साथ साथ अन्य विभागों का भी मुखिया होता है. डिस्ट्रिक्ट की पुलिस व्यवस्था की जिम्मेदारी भी जिलाधिकारी के पास ही होती है. ऐसे में आईएएस कोई गड़बड़ी करता हुआ पाया जाता है तो उसे पद से आसानी से नहीं हटाया जाता है. इसके लिए पूरी जांच की जाती है. अगर वाकई IAS अनफेयर मीन्स में शामिल होता है, जिससे जनता का नुकसान हो रहा हो या वे उसकी नौकरी के खिलाफ हो तो उसकी नौकरी खत्म की जा सकती है लेकिन इसका अधिकार सिर्फ एक शख्स के पास है.
दोषी पाए जाने में रैंक कम या हाथ से जा सकती है नौकरी
IAS की नौकरी खत्म करने से जुड़े नियम संविधान के अनुच्छेद 311 में लिखित हैं. अनुच्छेद 311 (2) के तहत अगर किसी ऑफिसर को अपराध में दोषी ठहराया जाए तो उसकी रैंक कम की जा सकती है साथ ही उसकी नौकरी भी खत्म की जा सकती है. इन प्रावधानों के तहत बर्खास्त किये गए सरकारी कर्मचारी राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण या केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) न्यायालयों जैसे न्यायाधिकरणों में जा सकते हैं. अनुच्छेद 310 के अनुसार, संविधान द्वारा प्रदान किये गए प्रावधानों को छोड़कर, संघ में एक सिविल सेवक राष्ट्रपति की इच्छा से काम करता है और राज्य के अधीन एक सिविल सेवक उस राज्य के राज्यपाल की इच्छा पर काम करता है. ऐसे में उसे नौकरी से निकालना भी राष्ट्रपति के हाथ में होता है, यूपीएससी के नहीं.
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