क्या है 'अभय मुद्रा', जिसका राहुल गांधी ने लोकसभा में किया जिक्र, अजमेर दरगाह के चिश्ती क्यों भड़के?
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राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के रूप में पहली बार लोकसभा में बोलते हुए अभय मुद्रा का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भगवान शिव की अभय मुद्रा भय को छोड़कर निडर रहने की बात कहती है और कांग्रेस का चिह्न भी यही कहता है.
सोमवार को संसद में विपक्ष के नेता के रूप में अपने पहले संबोधन में राहुल गांधी ने बार-बार 'अभय मुद्रा' का जिक्र किया. उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कहा कि सभी धर्मों ने अहिंसा और निडरता की बात की है. शिव की तस्वीर में और कांग्रेस का चुनाव चिह्न अभय मुद्रा है और ये निडर रहने की बात करता है. इसी दौरान राहुल ने कहा कि इस्लाम में दोनों हाथों से दुआ करना भी एक तरह की अभय मुद्रा है.
हालांकि, राहुल गांधी की इस बात पर ऑल इंडिया सूफी सज्जादा नशीन काउंसिल के चेयरमैन और अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने ऐतराज जताते हुए इसका खंडन किया है. उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म में न तो मूर्ति पूजा होती है और न ही किसी तरह की अभय मुद्रा होती है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को अपना बयान सही करना चाहिए.
क्या होती है अभय मुद्रा
'अभय मुद्रा', निर्भय रहने और सुरक्षा का एक संकेत है जो हिंदू, बौद्ध और जैन प्रतिमाओं में प्रचलित है. इस मुद्रा में आम तौर पर दाहिना हाथ कंधे की ऊंचाई तक उठा रहता है और हथेली को बाहर की और उंगलियों को सीधा रखते हुए दिखाया जाता है जबकि बायां हाथ गोद में रहता है.
अभय मुद्रा का अर्थ
निडरता
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