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क्या चीन के दखल से रुक सकती है रूस और यूक्रेन में जंग, या दरक जाएगी मॉस्को के साथ उसकी दोस्ती?
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चुनावी रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रंप कई बार दोहरा चुके थे कि वे सत्ता में आए तो कई देशों में युद्ध रुकवा देंगे. अपने पहले कार्यकाल में भी ट्रंप ने मिडिल ईस्ट में शांति पर कई काम किए. अब उनका फोकस रूस और यूक्रेन जंग है. हाल में उन्होंने इस मामले में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मदद की अपील कर डाली.
अमेरिका के राष्ट्रपति होने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मदद मांग डाली. पिछले तीन सालों से चली आ रही लड़ाई में दोनों ही देश कमजोर हो चुके. लेकिन इसका असर आयात-निर्यात की डोर से बंधे बाकी देशों पर भी हो रहा है. अब ट्रंप की अपील लड़ाई रोकने में निर्णायक हो सकती है, लेकिन सवाल ये है कि रूस का मददगार ये देश क्योंकर उसे टोकेगा, या फिर क्या ट्रंप की ये बात दोनों देशों के रिश्ते बदल सकती है?
फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो माना जा रहा था कि कीव मॉस्को से सामने ज्यादा दिन नहीं टिक सकेगा. एक हिसाब से देखा जाए तो रूस दूसरा अमेरिका है, जो हमेशा पूरे टीमटाम के साथ चलता रहा. लेकिन हुआ कुछ अलग. यूक्रेन न केवल टिका, बल्कि कुछ समय बाद बचाव के तरीके छोड़कर हमलावर भी होने लगा. इसकी भी वजह थी. यूक्रेन को अमेरिका समेत तमाम यूरोपियन देशों से भारी मदद मिल रही थी.
यूक्रेन को मिल रही ग्लोबल मदद
जर्मन रिसर्च संस्थान कील इंस्टीट्यूट फॉर वर्ल्ड इकनॉमी (IfW) इसपर नजर रख रही है कि कौन सा देश यूक्रेन को कितनी सहायता दे रहा है. इसके मुताबिक कुल 28 देशों ने उसे हथियारों की मदद दी. इसमें सबसे बड़ा योगदान अमेरिका का रहा. लड़ाई शुरू होने के अगले सालभर के भीतर जो बाइडेन सरकार यूक्रेन को लगभग सौ बिलियन डॉलर की मदद दे चुकी. यहां तक कि इस लड़ाई को रूस और अमेरिका का प्रॉक्सी युद्ध भी कहा जाने लगा. उसके अलावा यूरोपियन यूनियन, ब्रिटेन, पोलैंड, जर्मनी, कनाडा, इटली, फ्रांस, नॉर्वे और नीदरलैंड को सबसे बड़ा डोनर माना जा रहा है.
क्या चीन कर रहा रूस की सहायता एक तरफ दुनिया के सारे ताकतवर देश हैं तो दूसरी तरफ रूस. लेकिन वो इतना भी अकेला नहीं. चीन पर ये आरोप लगते रहे कि वो रूस की हथियार बनाने में मदद कर रहा है. यूएस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटनी ब्लिंकेन के हवाले से बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया कि मॉस्को के पास लगभग 70 फीसदी मशीन टूल्स और 90 फीसदी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स चीन से आ रहे हैं. चीन हालांकि इस आरोप से इनकार करता है. उसका कहना है कि वो मॉस्को के साथ नियमों के दायरे में ही बिजनेस कर रहा है.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमलोग जल्द ही रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहे हैं- वे हमलोग पर चार्ज करते हैं, हम उन पर चार्ज करेंगे. चाहे वो कंपनी हो या एक देश, जैसे कि चीन और इंडिया. हम फेयर होना चाहते हैं इसलिए संयुक्त राज्य अमेरिका भी वही टैरिफ लगाएगा जो भारत और चीन जैसे अन्य देश अमेरिकी वस्तुओं पर लगाते हैं.
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