कोटा में बढ़ते स्टूडेंट सुसाइड केस के बाद कोचिंग संस्थानों का विरोध तेज, कोर्ट जाने को भी तैयार है झारखंड की 'पासवा'!
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पासवा का कहना है कि कोचिंग इंस्टीट्यूट शिक्षण व्यवस्था को दीमक की तरह चाट रहे हैं. डॉक्टर, इंजीनियर बनने का सपना दिखाकर राज्य के भोले-भाले अभिभावकों और बच्चों को बाहर से आकर लूट रहे हैं, बच्चे अपना सब कुछ लूटता हुआ देख रहे हैं, पढ़ाई का बोझ उन्हें खुदकुशी करने पर मजबूर कर रहा है, कोटा की घटना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है.
कोटा में छात्र आत्महत्या के बढ़ते मामलों के बाद कोचिंग सेंटर्स पर लगाम लगाने पर चर्चा तेज हो गई है. झारखंड की 16 वर्षीय रिचा (बदला हुआ नाम) ने 13 सितंबर को फंदे से लटकर सुसाइड किया था. रिचा की मौत के बाद झारखंड प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन (पासवा) ने छात्रों की आत्महत्या के पीछे कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को जिम्मेदार ठहराया है. पासवा ने अब कोचिंग संस्थानों के विरोध और प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को लेकर आवाज उठाई है.
पासवा का कहना है कि कोचिंग इंस्टीट्यूट शिक्षण व्यवस्था को दीमक की तरह चाट रहे हैं. डॉक्टर, इंजीनियर बनने का सपना दिखाकर राज्य के भोले-भाले अभिभावकों और बच्चों को बाहर से आकर लूट रहे हैं, बच्चे अपना सब कुछ लूटता हुआ देख रहे हैं, पढ़ाई का बोझ उन्हें खुदकुशी करने पर मजबूर कर रहा है, कोटा की घटना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है.
रांची में 23 सितंबर को झारखंड के वित्त मंत्री एवं पासवा के मुख्य संरक्षक डॉ रामेश्वर उरांव के सरकारी आवास कचहरी चौक डिप्टी पाड़ा में एक बैठक आयोजित की गई. पासवा के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे के नेतृत्व में हुई इस बैठक में प्रदेश स्तरीय, जिला स्तरीय पदाधिकारी और पासवा से जुड़ने जा रहे हैं रांची जिले के विभिन्न विद्यालयों के प्राचार्य एवं निदेशक शामिल हुए. इस बैठक में झारखंड के शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करने और राज्य में भारी कोचिंग इंस्टीट्यूट्स की संख्या पर बात हुई.
कोचिंग की वजह से स्कूल नहीं जाते 60% छात्र पासवा अध्यक्ष ने कहा कि कक्षा 9 से ही कोचिंग इंस्टीट्यूट बच्चों को गिरफ्त में लेना शुरू कर देते हैं और एक ऐसा वातावरण बनाते हैं कि अगर कोचिंग इंस्टीट्यूट में नामांकन नहीं लिया तो बच्चे जीवन में कुछ भी नहीं कर सकते हैं.सबसे भयावह स्थिति 10वीं पास वाले बच्चों की है. 60 प्रतिशत बच्चे नॉन स्कूलिंग करते हैं, कहीं दूर दराज स्कूलों में 11वीं में बच्चे एडमिशन लेते हैं, स्कूल नहीं जाते हैं और कोचिंग इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेकर वहीं रहते हैं. स्कूल सिर्फ हमें ज्ञान नहीं देता है बल्कि हर स्तर पर शिक्षित करता है. बच्चों का स्कूल नहीं जाना चिंता का विषय है और जो 40 प्रतिशत बच्चे स्कूल जाते भी हैं वो भी क्लासरुम में कोचिंग के सवालों को हल करते रहते हैं.
आलोक दूबे ने बताया कि कई प्रिंसिपल ने 11वीं कक्षा के बच्चों के मानसिक दवाब को लेकर गंभीर चिंता दर्शायी है. पासवा प्रदेश अध्यक्ष ने झारखंड के मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालन के लिए एक सख्त कानून बनने चाहिए. विशेषकर स्कूल संचालन के समय अवधि में किसी भी सूरत में कोचिंग इंस्टीट्यूट में बच्चों के क्लास पर रोक लगनी चाहिए. वरना इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने अगर समय रहते फैसला नहीं लिया तो पासवा जनहित याचिका को लेकर न्यायालय के शरण में जाएगी. पासवा बहुत जल्द ऐसे कोचिंग इंस्टीट्यूट की सूची भी जारी करेगी जो झारखंड को 'लूट खंड' बनाकर राज्य के भोले-भाले अभिभावकों बच्चों का आर्थिक, मानसिक दोहन कर रहे हैं. कोचिंग इंस्टीट्यूट होर्डिंग, बैनर लगाकर और विज्ञापन के माध्यम से सबसे अधिक डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस बनाने का आंकड़ा बताकर दुष्प्रचार करते हैं और लोगों को दिग्भ्रमित करते हैं.
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