कोचिंग संस्थान नहीं, मां-बाप बन रहे कोटा में स्टूडेंट सुसाइड की वजह: सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चे अपने मां-बाप की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं, जिस वजह से वो आत्महत्या कर रहे हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा और उनके अभिभावकों का दबाव आत्महत्या के बढ़ते मामलों की वजह है.
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोटा कोचिंग संस्थानों पर रोक लगाने के लिए साफ-साफ इनकार कर दिया है. साथ ही मां-बाप पर कड़ी टिप्पणी की है. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'राजस्थान के कोटा में छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं के लिए कोचिंग संस्थानों को दोषी ठहराना उचित नहीं है क्योंकि माता-पिता की उम्मीदें भी बच्चों को अपनी जीवनलीला समाप्त करने के लिए विवश कर रही हैं.'
अभिभावकों का दबाव आत्महत्या की वजह कोर्ट ने कहा कि बच्चे अपने मां-बाप की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं, जिस वजह से वो आत्महत्या कर रहे हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा और उनके अभिभावकों का दबाव आत्महत्या के बढ़ते मामलों की वजह है.
कोर्ट ने कहा कि हम में से अधिकतर कोचिंग संस्थानों को पसंद करना नहीं चाहेंगे. आजकल परीक्षाएं इतनी प्रतिस्पर्धात्मक हो गई हैं और माता-पिता बच्चों से इतनी ज्यादा उम्मीदें लगा लेते हैं कि बच्चे उन पर खरा नहीं उतर पाते. प्रतियोगी परीक्षाओं में बच्चे आधे अंक या एक अंक से असफल हो जाते हैं.
समस्या अभिभावकों की है कोचिंग संस्थानों की नहीं कोटा में निजी कोचिंग संस्थानों के नियमन और उनके लिए न्यूनतम मानक तय करने के लिए कानून बनाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समस्या अभिभावकों की है कोचिंग संस्थानों की नहीं.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सलाह दी कि याचिकाकर्ता राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है. क्योंकि जिन मामलों का जिक्र किया गया है वो अधिकतर कोटा से ही जुड़े हुए हैं. वैसे कोटा में आत्महत्या एक बड़ी चुनौती बन गई है. आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं. कोटा में इस साल अक्टूबर महीने तक 24 छात्र-छात्राएं आत्महत्या कर चुके हैं.
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