कॉलोनियल अपराधों के लिए कई देशों को मुआवजा दे सकता है पुर्तगाल, क्या भारत की भी होगी भरपाई
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पुर्तगाल के राष्ट्रपति ने माना कि साम्राज्यवाद के दौरान उनका देश हिंसा करता रहा, और इसके लिए अब उसे मुआवजा भरना चाहिए. करीब 4 सौ सालों तक पुर्तगाल ने भारत के गोवा समेत कई एशियाई और अफ्रीकी देशों में लाखों लोगों को अगवा करके गुलाम बाजारों में बेच दिया था. अब पहली बार उसने इसपर अफसोस जताया है. तो क्या बाकी देशों के साथ-साथ पुर्तगाल भारत को भी मुआवजा देगा?
साल 2017 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने वादा किया वे अफ्रीकी देशों को वे सारी चीजें लौटा देंगे, जो उनके देश ने शासन के दौरान हड़पी थीं. इसके बाद से यूरोप समेत दुनियाभर में लहर चल पड़ी. एक वक्त पर दूसरे देशों पर शासन कर चुके देश अपनी पुरानी गलतियों के लिए माफी मांगने लगे. अब पुर्तगाल ने राष्ट्रपति मार्चेलो रेबेलो ने भी अफ्रीकी देशों से माफी मांगते हुए उन्हें कंपन्सेशन देने की बात की है.
सदियों तक बना रहा उपनिवेश
15वीं सदी में पुर्तगाली व्यापारी और खोजकर्ता वास्को डी गामा और बार्तोलोम्यु डायस ने अफ्रीकी तटों पर कदम रखा. जैसे ही उन्हें समझ आया कि ये जगहें काम की हैं, उन्होंने वहां व्यापारिक ठिकाने और कॉलोनियां बसानी शुरू कर दीं. यह मौजूदगी समय के साथ बढ़ी, जिससे पुर्तगाल को अफ्रीका के कई हिस्सों पर कंट्रोल मिल गया. इनमें से ज्यादातर इलाके अब अंगोल, मोजम्बिक, ब्राजील, गिनी-बिसाउ, केप वेरडे, ईस्ट तिमोर, साओ तोमे और प्रिन्सिपी में आते हैं. ये शासन 20वीं सदी के मध्य तक चलता रहा, जिसके बाद बगावत और आंदोलनों से तंग होकर उसने अफ्रीका को छोड़ा.
इन करीब 6 सदियों के दौरान पुर्तगाली शासकों ने अफ्रीका पर खासे अत्याचार किए.
द गार्जियन की एक रिपोर्ट में जिक्र है कि तब कम से कम 60 लाख लोगों को गुलाम बनाकर बेचा गया था. लाखों गुलाम जहाजों में ठूंसकर उन देशों में भेजे जाने लगे जहां पुर्तगाली राज था. इन लंबी समुद्री यात्राओं के दौरान बहुतों की मौत हो गई. जो लोग बच गए उन्हें उत्तरी और दक्षिण अमेरिका के देशों में गुलाम बनाकर खेती के काम में झोंक दिया गया. ये बंधुआ मजदूर थे, जिनकी पीढ़ियां भी गुलाम ही रहीं, जब तक कि आजादी नहीं मिल सकी.
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