
औरंगजेब की कब्र खुली और कच्ची क्यों... मकबरे और मजार के निर्माण पर क्या कहता है इस्लाम?
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इस्लाम में कब्र को लेकर सबसे जरूरी बात कही गई है, वह है कब्र का खुला या कच्चा होना. इस्लाम में खुली हुई कब्र ही सही बताई गई है. ऐसी कब्र जिसमें बारिश की नमी और गीलापन हो. ऐसी कब्र विनम्रता और सादगी की मिसाल मानी जाती हैं. खुली कब्र का मतलब है कि वह मिट्टी से ढकी होती है, लेकिन उस पर कोई पक्का ढांचा या छत नहीं होती.
छावा फिल्म को रिलीज हुए डेढ़ महीने बीत चुके हैं, लेकिन उसे लेकर चर्चाओं का बाजार में ऐसी आग लगी है कि अब आदमी इसके धुएं पर बैठकर उसी जमाने में पहुंच जाना चाहता है. जितनी बात मराठा छत्रपति संभाजी महाराज की हो रही है तो चर्चाओं में मुगल बादशाह रहा औरंगजेब भी कम नहीं याद किया जा रहा है, बल्कि आलम तो ये है कि जो सवाल पहले उसकी शख्सियत पर था, वह सवाल अब कुछ यूं बदल गया है कि उस जैसी सख्शियत वाले शख्स की कब्र क्यों होनी चाहिए?
लिहाजा, कोई कब्र हटाने की मांग कर रहा है तो कोई कब्र वाली जगह ही खत्म कर देने की मांग पर अड़ा है. कुल मिलाकर 350 साल पहले के इस मुगलिया बादशाह के खिलाफ गुस्सा उबाल पर है और इसी गुस्से में दोनों तरफ से बयानबाजी जारी है. कब्र को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो इसी बहाने ये जानते हैं कि मुगलिया सल्तनत के शहंशाह रहे औरंगजेब की कब्र कहां है, कैसी है और इसके साथ ही इस्लाम में कब्र कैसी होनी चाहिए, इसको लेकर क्या कहा गया है.
सबसे पहले जानते हैं कि कहां है औरंगजेब की कब्र
औरंगजेब की कब्र अभी के संभाजी नगर (पहले औरंगाबाद) के ही खुल्दाबाद में मौजूद है. औरंगजेब की कब्र वाली जगह यानी दो गज जमीन कच्ची है और कब्र के बीचों-बीच एक सब्जे का पौधा लगा हुआ है. मुगल शासक औरंगजेब ने अपनी वसीयत में अपने बेटे आजम शाह से कहा था कि जब उसकी मौत हो तो खुल्दाबाद में उसकी मिट्टी की कच्ची कब्र बनाई जाए और कब्र पर सिर्फ सफेद चादर चढ़ाई जाए. इस बारे में इतिहासकार खालिद अहमद का कहना है कि पहले मिट्टी की कच्ची कब्रें होती थीं, जिन पर हरे रंग के छोटे-छोटे पौधे लगाए जाते थे और कब्र या मजार पर फूल चढ़ाए जाते थे.
तब से लेकर अब तक मिट्टी की कई सारी कब्रों पर पौधे लगाए जाते हैं. कई मजारें ऐसी भी होती हैं जिनके आसपास झाड़ लगाए जाते हैं. औरंगजेब की कब्र पर भी एक छोटा पौधा लगा हुआ है जो हर कुछ महीनों के बाद बदल दिया जाता है. छह पीढ़ियों से औरंगजेब की कब्र की देखभाल करने वाले अफरोज अहमद का कहना है कि औरंगजेब ने अपने बेटे आजम शाह को वसीयत की थी कि उसकी कब्र उसके उस्ताद सूफी संत हजरत जैनुद्दीन शिराज़ी की दरगाह परिसर, खुल्दाबाद में कच्ची मिट्टी की बनाई जाए.
बारिश में भीग जाती है औरंगजेब की कब्र उन्होंने बताया कि औरंगजेब का कहना था कि उसकी कब्र पर किसी भी किस्म का गुम्मद या कोई इमारत न बनाई जाए. जैसी गरीबों की कब्र होती है, वैसी ही बनाई जाए... खुले आसमान के नीचे और कच्ची. आज भी उसकी कच्ची कब्र खुले आसमान के नीचे मौजूद है. यही वजह है कि बरसात के महीने में औरंगजेब की कब्र भीग जाती है.

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