ओल्ड राजेंद्र नगर ही नहीं, सिविल सर्विस की तैयारी के लिए ये हैं देश के टॉप-5 शहर, जहां है छात्रों की भीड़
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ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए हादसे के बाद देश में कोचिंग संस्थानों के छात्रों की समस्याओं को लेकर खूब बात हो रही है. ओल्ड राजेंद्र नगर में किन हालातों में संकरी गलियों के घुटन भरे माहौल में रहकर छात्र तैयारी कर रहे हैं. ऐसे सेंटर सिर्फ दिल्ली ही नहीं देश के अलग अलग राज्यों में भी हैं.
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में बेसमेंट में अचानक पानी आने से तीन छात्रों की मौत हो जाती है. ये तीन ऐसे युवा थे जो अपनी आंखों में सिविल सर्विस पाने, IAS-IPS बनने का सपना लेकर दिल्ली आए थे. यहां के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके की संकरी गलियों में छोटे-छोटे केबिन नुमा कमरों में रहकर तैयारी में जुटे थे. सिर्फ ये तीन बच्चे या सिर्फ ओल्ड राजेंद्र नगर ही ऐसी जगह नहीं है जहां छात्रों का संघर्ष नजर आ रहा है. कमोबेश देश के तमाम शहरों में भी ऐसे ही हालात हैं.
ओल्ड राजेंद्र नगर: इंच-इंच की है कीमत
ओल्ड राजेंद्र नगर में रहकर तैयारी कर रहे छात्र रूपेंद्र बताते हैं कि इस इलाके में जैसे हर कोई पैसे का भूखा है. ये लोग पैसों के इतने भूखे हैं कि यहां 20 हजार में छोटा सा कमरा मिलता है. वैसे ही बेसमेंट में लाइब्रेरी खोलकर छात्रों को एक एग्जिट देते हैं. आपको हर कदम पर आपको एक बेसमेंट लाइब्रेरी मिलेगी, इनकी संख्या करीब 60 से 70 हैं. इसमें हरेक में 300-400 छात्र पढ़ते हैं. ये सारे एक फार्मूला फॉलो करते हैं, वन एंट्री वन एग्जिट. इसमें कोई हादसा होने पर छात्र भाग नहीं पाते.
मुखर्जी नगर में भी ऐसे ही है हालात
दिल्ली में ही आईएएस आईपीएस की तैयारी का दूसरा हब मुखर्जी नगर भी ऐसे ही हालात झेल रहा है. कुछ महीनों पहले ही यहां एक कोचिंग सेंटर में आग लगी तो बच्चे ऊपर से ऐसे कूद रहे थे जैसे कोई खिलौने हों. यहां के माहौल, नेहरू विहार तक रिहाइशी इलाके में कमरों की भारी कीमत, कम सुविधाएं, महंगी फीस, एक कोचिंग में हजारों छात्र जैसी समस्याएं ये सब छात्र झेल रहे हैं. मुखर्जी नगर में रहकर पिछले 4 साल से तैयारी कर रहे छात्र ओम अग्रवाल कहते हैं कि हम लोग समय समय पर अपनी समस्याएं उठाते रहते हैं, लेकिन यहां छात्र पढ़ाई करने आते हैं, किसी के पास इतना टाइम नहीं होता कि वो रोज प्रदर्शन करे, कोर्ट कचहरी करे. ओम कहते हैं कि हमने कल भी एक प्रदर्शन करके मांग की थी कि हरहाल में बेसमेंट में क्लासेज और लाइब्रेरी बंंद हों. इसके अलावा हमारे इलाके में जलभराव, तारों के बिछे जाल से निजात मिले ताकि फिर कोई नीलेश गेट से चिपक अपनी जान न दे. ओम कहते हैं कि हाल ही में एक यूपीएससी एस्पिरेंट जिस तरह ट्रांसफॉर्मर में चिपककर मरा, ये हमें झकझाेर कर रख देता है.
प्रयागराज में भी होती हैं कोचिंग्स
अभिभावकों ने झिझकते हुए हमें बताया कि “हमने कई बार शिक्षकों के सामने इस मुद्दे को उठाया है, यहां तक कि सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल से भी इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन आश्वासन के अलावा हमें कुछ नहीं मिला है. मेरे बच्चों को कुछ ही दिनों में अपनी परीक्षा देनी है. हमने अपने रिश्तेदारों से पाठ्यपुस्तकें उधार ली हैं ताकि परीक्षा बिना किसी बाधा के हो सके.
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