‘एक Like करो और 50 रुपये कमाओ’ के चक्कर में ऐसा फंसा कि एक करोड़ गंवा बैठा शख्स
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Money For Like Scam: स्कैमर्स लोगों से ठगी के नए-नए तरीके खोजते रहते हैं. ऐसा ही एक तरीका है Money For Likes का, जो इन दिनों चलन में है. इस स्कैम में फंसकर लोगों अपनी उम्र भर की कमाई तक लुटा दे रहे हैं. ऐसा ही कुछ एक रिटायर्ड आर्मी पर्सन के साथ हुआ है, जिन्होंने स्कैम में फंसकर 1 करोड़ रुपये गंवा दिए हैं.
यहां पॉकेटमारों से सवाधान रहें... बस स्टैंड और कुछ रेलवे स्टेशन पर इस तरह के बोर्ड अक्सर देखने को मिलते थे. ऐसा ही कुछ अब इंटरनेट पर हो रहा है. यहां आपको कहीं भी 'स्कैमर्स से सावधान रहें' लिखा नहीं मिलेगा, लेकिन आपको सावधान रहने की जरूरत है. स्कैमर्स तरह-तरह से लोगों को ठगते रहते हैं.
इंटरनेट और स्मार्टफोन के जमाने में ऑनलाइन ठगी का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. स्कैमर्स नए-नए तरीके से लोगों से फ्रॉड कर रहे हैं. कभी वॉट्सऐप मैसेज के जरिए तो कभी किसी रिश्तेदार के नाम पर. एक नया मामला हाल में सामने आया है, जिसे Money For Like स्कैम कहते हैं. वैसे तो स्कैम का ये तरीका नया नहीं है, लेकिन ऐसा एक नया केस देखने को मिला है.
दरअसल, पुणे में एक रिटायर आर्मी पर्सन के साथ ये ठगी हुई है. इस स्कैम में फंसकर पीड़ित ने अपनी उम्र भर की कमाई गंवा दी है. पुलिस ने बताया कि दो हफ्तों में पीड़ित से 1.1 करोड़ रुपये की ठगी हुई है. इस मामले में पुणे पुलिस की साइबर सेल ने जांच शुरू कर दी है.
65 साल के रिटायर्ड आर्मी पर्सन ने पिछले हफ्ते इस मामले में FIR दर्ज कराई. कहानी शुरू होती है फरवरी से, जब फ्रॉडस्टर्स ने बुजुर्ग से संपर्क किया. शुरुआत में उन्होंने पीड़ित को मनी फॉर लाइक का लालच दिया. तीसरे और चौथे हफ्ते से उन्हें बुजुर्ग को जाल में फंसाकर कुल 26 ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कराए. इस तरह से उनके साथ 1.1 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ.
ये सभी ट्रांजेक्शन एक दर्जन बैंक अकाउंट्स में हुए हैं. पुलिस की मानें तो शुरुआत में एक महिला ने टेक्स्ट मैसेज के जरिए बुजुर्ग से संपर्क किया था. उसने पार्ट-टाइम एम्प्लॉयमेंट के नाम पर कॉन्टैक्ट किया. महिला ने दावा किया था वो थाईलैंड से है और YouTube Videos पर एक लाइक के बदले 50 रुपये देगी.
उसने पीड़ित से कहा था कि हर लाइक का स्क्रीनशॉट उन्हें अपने नाम, ऐड्रेस और बैंक डिटेल्स के साथ भेजना होगा. शुरुआत में उन्हें 150 रुपये का वेलकम बोनस भी मिला. इसके बाद उन्हें एक फोन मैसेंजर ग्रुप में भी जोड़ा गया था, जिसका नाम employee trial group था. ग्रुप में ऐड होने के बाद पीड़ित से कुछ फ्रॉडस्टर्स ने अपना खेल शुरू कर दिया.
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