उस रात की कहानी... जब इंदिरा से झगड़े के बाद दो साल के वरुण को गोद में लेकर गांधी फैमिली का घर छोड़ आई थीं मेनका
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गांधी फैमिली को देश के सबसे बड़े सियासी परिवार के तौर पर जाना जाता है. इस फैमिली का राजनीतिक जुड़ाव न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि बीजेपी में भी है. कांग्रेस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मजबूत पकड़ है तो बीजेपी में मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी सांसद चुनते आ रहे हैं. मेनका केंद्र की सरकार में मंत्री भी रही हैं. इस बार वरुण का पीलीभीत से टिकट कटने के बाद कांग्रेस ने साथ आने का ऑफर दिया है.
देश में आम चुनाव हैं और एक चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या 40 साल बाद फिर गांधी परिवार एक होगा? दरअसल, यूपी में योगी सरकार के खिलाफ बयानबाजी से चर्चा में रहने वाले वरुण गांधी का बीजेपी ने पीलीभीत से टिकट काट दिया है. हालांकि, उनकी मां मेनका गांधी को एक बार फिर सुल्तानपुर से चुनावी मैदान में उतारा गया है. वरुण के राजनीतिक भविष्य को लेकर कयासबाजी तेज हो गई है. क्योंकि वरुण ने टिकट के ऐलान से पहले नामांकन पत्र खरीद लिया था और वो चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में थे. हालांकि, चंद घंटे बाद यह साफ हो जाएगा कि वरुण पीलीभीत से चुनाव लड़ेंगे या नहीं? क्योंकि आज पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख है.
गांधी फैमिली को देश के सबसे बड़े सियासी परिवार के तौर पर जाना जाता है. इस फैमिली का राजनीतिक जुड़ाव न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि बीजेपी में भी है. कांग्रेस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मजबूत पकड़ है तो बीजेपी में मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी सांसद चुनते आ रहे हैं. मेनका केंद्र की सरकार में मंत्री भी रही हैं. इस बार वरुण का पीलीभीत से टिकट कटने के बाद कांग्रेस ने साथ आने का ऑफर दिया है, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं. जानिए उस रात की कहानी, जब वरुण को लेकर घर छोड़ आई थीं मेनका गांधी...
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि वरुण गांधी संघर्षों में पले-बढ़े हैं. उन्होंने शुरुआती जीवन कठिन हालात में जीया. जब वे तीन महीने के थे, तब पिता संजय गांधी को खो दिया था. जब दो साल के हुए तो पारिवारिक हालात ऐसे बने कि वरुण को गोद में लेकर मां मेनका गांधी घर छोड़ आईं थीं. चार साल की उम्र में वरुण ने अपनी दादी इंदिरा गांधी को खो दिया था. वरुण 29 साल की उम्र में राजनीति में आए और पीलीभीत से पहला चुनाव जीता. जल्द ही वे अपनी मुखरता के लिए चर्चित हो गए.
कैसे एक परिवार दो ध्रुवों-दो पार्टियों में बंट गया?
आखिर एक ही सियासी परिवार के दो ध्रुव कैसे बने? 28 मार्च 1982 की रात आखिर क्या हुआ था जिसने देश की सबसे बड़ी सियासी फैमिली को दो ध्रुवों में बांट दिया? कभी एक ही परिवार के हिस्से रहे राहुल और वरुण गांधी का बचपन एक ही आंगन में बीता था. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी के पुत्र राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को हुआ था जबकि संजय गांधी के बेटे वरुण गांधी का जन्म 13 मार्च 1980 को हुआ था. दोनों परिवार एक साथ एक ही आंगन में रहते थे.
दरअसल तनाव की कहानी शुरू होती है जनवरी 1980 में जब इंदिरा गांधी फिर प्रधानमंत्री बनीं. परिवार 1, सफदरजंग रोड स्थित प्रधानमंत्री आवास में शिफ्ट हुआ. लेकिन दिसंबर 1980 में संजय गांधी की विमान हादसे में मौत के बाद सबकुछ बदल गया. मेनका की उम्र उस वक्त बमुश्किल 25 साल रही होंगी. संजय की विरासत राजीव के हाथों में जा रही थी. इंदिरा और मेनका छोटी-छोटी बातों पर लड़ पड़ते थे. खुशवंत सिंह ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि 'अनबन इतनी बढ़ गई कि दोनों का एक छत के नीचे साथ रहना मुश्किल हो गया. 1982 में मेनका ने प्रधानमंत्री आवास छोड़ दिया.'
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