उद्धव गुट से बगावत... फिर सत्ता पर काबिज, एकनाथ शिंदे ने ऐसे छीना पार्टी का नाम और निशान
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उद्धव ठाकरे के हाथ से पहले सत्ता फिसली औऱ अब पार्टी का नाम और निशान भी निकल गया है. चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिवसेना की कमान अब एकनाथ शिंदे के हाथों में आ गई है. शिंदे और उद्धव गुट के बीच तनातनी लंबे समय से चली आ रही थी, इसके तहत ही सूबे में सत्ता में उलटफेर हुआ था.
महाराष्ट्र में एक बार फिर से सियासी भूचाल आ गया है. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया है. इसके साथ ही पार्टी का नाम और प्रतीक चिह्न 'तीर कमान' का हक भी शिंदे गुट को दे दिया है. चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई है. महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने जहां चुनाव आयोग के फैसले को लोकतंत्र और लाखों कार्यकर्ताओं की जीत के साथ ही बालासाहेब और आनंद दीघे की जीत है. वहीं उद्धव गुट ने चुनाव आयोग के इस फैसले की निंदा की है.
उद्धव गुट और शिंदे गुट के बीच सियासी तकरार उस वक्त शुरू हो गई थी, जब एकनाथ शिंदे ने अपने खेमे के कुछ विधायकों के साथ उद्धव गुट से बगावत कर दी थी. ये समय था जून 2022 का. 24 जून 2022 को शिवसेना ने बागी विधायकों के खिलाफ याचिका दायर की और मांग की कि महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल शिंदे खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराएं. जिरवाल ने शिवसेना नेताओं से मुलाकात की और बाद में कानूनी राय के लिए महाराष्ट्र के महाधिवक्ता से भी मुलाकात की. - 25 जून 2022 को 16 शिवसेना विधायक, जिन्होंने बागी नेता एकनाथ शिंदे के साथ गठबंधन किया था, उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर द्वारा अयोग्यता नोटिस दिया गया था.
- 26 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने डिप्टी स्पीकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का भारत के सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था. इस दौरान शिवसेना के भीतर आंतरिक कलह जारी रही. एकनाथ शिंदे की बगावत के 10 दिनों के भीतर उद्धव ठाकरे ने शिंदे को 'शिवसेना नेता' के पद से हटा दिया था, जिसके कारण महाराष्ट्र में MVA सरकार गिर गई थी.
- 30 जून 2022 जब कई लोग अनुमान लगा रहे थे कि पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस फिर से शिवसेना के बागी विधायकों की मदद से महाराष्ट्र की गद्दी पर बैठेंगे, लेकिन उन्होंने डिप्टी सीएम और एकनाथ शिंदे ने सीएम पद की शपथ ली थी.
- नए विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव और शिंदे के फ्लोर टेस्ट के मकसद से 3-4 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था.
- तीन जुलाई को भाजपा के पहली बार विधायक बने राहुल नार्वेकर महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए. उन्हें शिवसेना के अपने प्रतिद्वंद्वी राजन के खिलाफ 164 वोट मिले, जिन्हें 107 वोट मिले.
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