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इस बार लालू के खेल में नहीं फंसेगी कांग्रेस, बिहार के लिए बनाया 'प्लान-45'
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बिहार चुनाव में 2020 में महागठबंधन 12 सीटों के अंतर से सत्ता में आने से चूक गया था तो कांग्रेस पार्टी की चौतरफा आलोचना हुई थी. कांग्रेस के साथ तब सीट शेयरिंग में ही खेल हो गया था. इस बार पार्टी इसे लेकर अलर्ट है और बिहार के लिए 'प्लान-45' बनाया है.
बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में मिली नाकामी, महागठबंधन की हार का विलेन बन जाने से सीख लेकर कांग्रेस इस बार चुनावी साल की शुरुआत के साथ ही एक्टिव मोड में आ गई है. बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डॉक्टर अखिलेश प्रसाद सिंह से लेकर महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा और बिहार कांग्रेस के प्रभारी सचिव शाहनवाज आलम तक, मैदान में उतर गए हैं. मैदान में उतरे नेतृत्व की कोशिश विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार करने के साथ ही ऐसी सीटों को चिह्नित करना भी है जहां पार्टी के जीतने की संभावनाएं मजबूत हों.
कांग्रेस ने रखा 50 सीटें जीतने का लक्ष्य
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद डॉक्टर अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि हमने 50 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने खुद भी यह स्वीकार किया है कि यह लक्ष्य आसान नहीं है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि ये नामुमकिन भी नहीं. अखिलेश प्रसाद ने दावा किया कि बिहार कांग्रेस के पक्ष में इस बार चौंकाने वाले नतीजे आएंगे.
मिशन 50 के नारे, चौंकाने वाले नतीजों के दावे... इनके लिए कांग्रेस पार्टी को सबसे पहले अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना होगा. 2020 के चुनाव नतीजों में 70 सीटों पर चुनाव लड़कर महज 27 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 19 सीटें ही जीत पाई पार्टी को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) इस बार अधिक सीटें देने का खतरा मोल लेगी? खासकर तब, जब महागठबंधन 110 सीटें जीतकर बहुमत के लिए जरूरी 122 के जादुई आंकड़े से महज 12 सीट पीछे रह गया था और विपक्षी गठबंधन की मात के लिए कांग्रेस के प्रदर्शन को कसूरवार ठहराया गया था.
ग्रैंड ओल्ड पार्टी का प्लान-45
मिशन 50 का नारा देने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता भी यह समझ रहे हैं कि सीट शेयरिंग की टेबल पर अपनी डिमांड मनवाने की राह में पिछले चुनाव का प्रदर्शन उसकी राह का सबसे बड़ा रोड़ा रहने वाला है. यही वजह है कि पार्टी ने इस बार खास रणनीति बनाई है- प्लान 45. दरअसल, कांग्रेस ने 2015 के विधानसभा चुनाव में 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 27 सीटें जीतने में सफल रही थी जो 1995 में 29 सीटों पर जीत के बाद बिहार चुनाव में पार्टी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. कांग्रेस को इतनी सीटें लड़ने के लिए तब मिली थीं जब महागठबंधन में जेडीयू भी थी. 2020 के चुनाव से पहले कांग्रेस नेतृत्व अधिक सीटों की डिमांड पर अड़ गया.
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