इन मामलों में सजा पर नहीं कर सकेंगे अपील, पुलिस कब कर सकेगी संपत्ति जब्त? जानें- नए कानून से क्या-क्या बदलेगा
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एक जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जा रहे हैं. सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू हो जाएगी. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं, जिसका असर छोटे-मोटे अपराधियों से लेकर बड़े जुर्म करने वाले दोषियों तक पर पड़ेगा.
पहली जुलाई से काफी कुछ बदलने जा रहा है. खासकर क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में. वो इसलिए क्योंकि एक जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जा रहे हैं.
जुलाई की पहली तारीख से 1860 में बनी आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम ले लेगी.
इन तीनों नए कानूनों के लागू होने के बाद कई सारे नियम-कायदे बदल जाएंगे. कुछ मामले ऐसे होंगे, जिनमें सजा मिलने पर उनके खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील नहीं की जा सकेगी. इसी तरह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में एक नई धारा जोड़ी गई है, जिसमें आरोपी की संपत्ति जब्त करने का कानून सख्त कर दिया गया है.
किन मामलों में नहीं कर सकेंगे अपील?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 417 में बताया गया है कि किन मामलों में सजा मिलने पर ऊपरी अदालत में उसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती.
अगर हाईकोर्ट से किसी दोषी को 3 महीने या उससे कम की जेल या 3 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा मिलती है, तो इसे ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. आईपीसी में धारा 376 थी, जिसके तहत 6 महीने से कम की सजा को चुनौती नहीं दे सकते थे. यानी, नए कानून में थोड़ी राहत दी गई है.
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