'आदिवासी और विधवा हैं राष्ट्रपति, इसलिए नई संसद में नहीं बुलाया,' उदयनिधि स्टालिन का बयान
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डीएमके नेता और मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है. उन्होंने फिर सनातन को मिटाने की बात कही है. उन्होंने कहा, सनातन के खात्मे से जातिगत भेदभाव भी खत्म हो जाएगा. उन्होंने यह भी कहा, करीब 800 करोड़ रुपये की लागत से बनी नई संसद एक यादगार परियोजना थी. फिर भी भारत की प्रथम नागरिक होने के बावजूद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को निमंत्रण नहीं दिया गया.
तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन ने बुधवार को नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं किए जाने पर सवाल उठाए हैं. स्टालिन ने कहा, राष्ट्रपति मुर्मू को इसलिए नहीं बुलाया गया, क्योंकि वो विधवा हैं और आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. उदयनिधि स्टालिन ने तंज कसा और पूछा, क्या इसे ही हम सनातन धर्म कहते हैं.
उदयनिधि स्टालिन ने मदुरै में एक कार्यक्रम में यह बयान दिया. उन्होंने कहा, हम इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाना जारी रखेंगे. उदयनिधि स्टालिन ने इस बात पर जोर दिया कि करीब 800 करोड़ रुपये की लागत से तैयार नया संसद भवन एक यादगार परियोजना थी. फिर भी भारत के प्रथम नागरिक होने के बावजूद राष्ट्रपति मुर्मू को निमंत्रण नहीं दिया गया. क्योंकि उनकी आदिवासी पृष्ठभूमि और एक विधवा होने के कारण कार्यक्रम से दूर रखा गया.
'उदयनिधि ने पूछा- क्या यही सनातन धर्म है?'
उदयनिधि ने कहा, नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया. उन्होंने (बीजेपी) उद्घाटन के लिए तमिलनाडु से अधिनमों को बुलाया, लेकिन भारत की राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया गया क्योंकि वह एक विधवा हैं और आदिवासी समुदाय से हैं. क्या यही सनातन धर्म है? मुर्मू को ना तो पहले नए संसद भवन के उद्घाटन में आमंत्रित किया गया और ना वर्तमान में जब विशेष सत्र का आयोजन हो रहा है.
'हिंदी एक्ट्रेस को बुलाया, राष्ट्रपति को क्यों नहीं?'
इसके अलावा, उदयनिधि स्टालिन ने बताया कि जब महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किया गया था, तब भी हिंदी अभिनेत्रियों को आमंत्रित किया गया, जबकि राष्ट्रपति को उनकी व्यक्तिगत परिस्थितियों के कारण बाहर रखा गया. उन्होंने दावा किया कि ये घटनाएं ऐसे फैसलों पर 'सनातन धर्म' के प्रभाव का संकेत हैं.
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