अवैध अफगान रिफ्यूजियों के साथ क्या सलूक कर सकती है पाकिस्तान सरकार, क्यों UN के हाथ बंधे हुए हैं?
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पाकिस्तान ने अपने यहां रहते अवैध अफगान नागरिकों को देश छोड़ने की डेडलाइन दी थी, जो बुधवार को पूरी हो चुकी. अब पाकिस्तान सरकार उन्हें अरेस्ट करके जबरन बाहर भेज सकती है. इससे दोनों देशों के बीच टेंशन बढ़ना तय है. लेकिन क्या वजह है जो वहां की सरकार अफगानियों को लेकर एकाएक इतनी आक्रामक हो गई और देश से निकाल-बाहर करने में वो किस हद तक जा सकती है?
पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर फिलहाल हजारों अफगानी इंतजार कर रहे हैं कि कोई रास्ता निकल आए और वे पाकिस्तान रुक जाएं. फिलहाल वहां 1.7 मिलियन अवैध अफगानी बसे हुए हैं, यानी इतने ही लोगों के पास पाकिस्तान छोड़ने का अल्टीमेटम है. इस बीच कई सवाल आते हैं. मसलन क्या होगा अगर अफगानी देश छोड़ने को राजी न हों. पाकिस्तान की डिपोर्टेशन पॉलिसी क्या है और अवैध लोगों के खिलाफ किस हद तक जा सकती है.
अफगानिस्तान से दो फेज में लोग भागकर पाकिस्तान पहुंचे पहली बार साल 1979 में ऐसा हुआ, जब सोवियत संघ (अब रूस) ने अफगानिस्तान पर हमला किया. वो उस समय की कम्युनिस्ट सरकार को बचा रहा था. इसी दौर में करीब 50 लाख अफगानियों ने अपना देश छोड़ दिया. इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान चले गए.
शरणार्थियों की दूसरी बड़ी खेप साल 2021 में पाकिस्तान पहुंची, जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया. यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी (UNHCR) के मुताबिक फिलहाल 80 लाख देश छोड़ चुके अफगानियों में से करीब 37 लाख लोग पाकिस्तान में ही रहते हैं.
पाकिस्तान क्यों आ रहे हैं लोग? इस देश में भले ही राजनैतिक और आर्थिक भूचाल आया हुआ है, लेकिन पड़ोसियों की तुलना में ये बेहतर हालात में है. UN की सबसे कम विकसित देशों की लिस्ट में अफगानिस्तान का नाम है, जबकि पाकिस्तान का नहीं. पाकिस्तान की जीडीपी भी पड़ोसी देश से लगभग दोगुनी है. हमारे लिए भले ही पाकिस्तान में ह्यूमन राइट्स का हनन हो रहा हो, लेकिन तालिबानी राज के अफगानिस्तान से ये काफी बेहतर स्थिति में है. यही वजह है कि अफगानिस्तान से लोग तेजी से पाकिस्तान बॉर्डर क्रॉस कर रहे हैं.
क्यों देश से भगाया जा रहा है? - पाकिस्तान सरकार इसे लेकर कई वजहें दे रही है. जैसे इस देश में हाल के दिनों में कट्टरपंथी हमले काफी बढ़ गए. सरकार का आरोप है कि ये अटैक वहां से आ रहे लोगों की देन है. - इस साल अब तक 24 सुसाइड अटैक हुए, जिसमें से 14 अफगान से आए लोगों ने किए थे. - साउथ एशियन टैररिज्म पोर्टल कहता है कि बीते साल देश के भीतर 365 आतंकी हमले हुए थे, जबकि इस साल ये बढ़कर 418 हो चुका. - पाकिस्तान में तालिबानी आतंकी गुट TTP भी फल-फूल रहा है. सरकार का कहना है कि आतंक के लिए पड़ोसी देश उनकी जमीन इस्तेमाल कर रहा है. - महंगाई से जूझते देश में नौकरियों की भी कमी है. ऐसे में लाखों बाहरी लोगों के रहने से जॉब मार्केट पर भी असर हो रहा है.
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