अरविंद केजरीवाल के खिलाफ स्वाति मालीवाल का पोल-खोल अभियान कितना कहर बरपाएगा? | opinion
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दिल्ली में एक तरफ अरविंद केजरीवाल दस साल की अपनी सरकार की उपलब्धियों का घूम घूम कर बखान कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ स्वाति मालीवाल उनके खिलाफ पोल-खोल अभियान चला रही हैं - लेकिन, क्या अरविंद केजरीवाल को स्वाति मालीवाल की मुहिम की कोई परवाह है भी?
अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर दिल्ली में अग्नि परीक्षा देने चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं. दिल्ली पदयात्रा के दौरान वो आम आदमी पार्टी की सरकार के दस साल के कामकाज को उपलब्धियों के तौर पर पेश कर रहे हैं - ऐन उसी वक्त आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल दिल्ली में पोल खोल कैंपेन चला रही हैं.
हाल ही में स्वाति मालीवाल ने सोशल साइट एक्स पर एक पुरानी तस्वीर शेयर किया था, जिसमें वो अरविंद केजरीवाल की बगल में खड़ी है, और मनीष सिसोदिया पीछे की लाइन में नजर आ रहे हैं. तस्वीर शेयर करते हुए स्वाति मालीवाल ने लिखा था, 2007 की तस्वीर है, कॉलेज खत्म कर नौकरी त्यागी... अपना सारा कॅरियर समाज सेवा को समर्पित किया... उस समय न पार्टी थी, न कोई सरकार... गरीब लोगों के काम करवाते थे, बहुत खुशी मिलती थी... वो वक्त बहुत अच्छा था.
स्वाति मालीवाल का ये कदम क्या मकसद लिये था, सीधे सीधे समझ में नहीं आया. एक बात तो साफ थी कि पहले वो और अरविंद केजरीवाल भी एक जैसे ही थे, लेकिन अब आम आदमी पार्टी के नेता बदल गये हैं - लेकिन, ये नहीं समझ में आया कि तस्वीर शेयर कर स्वाति मालीवाल क्या कहना चाहती हैं, और अगर कुछ कहना चाहती हैं तो किससे? अरविंद केजरीवाल से या दिल्ली के लोगों से?
एकबारगी तो ऐसा भी महसूस हुआ कि स्वाति मालीवाल पुरानी बातों की याद दिलाकर समझौते के रास्ते खोलने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन, कुछ भी नहीं हुआ. न तो स्वाति मालीवाल की तरफ से दोबारा उस बारे में कुछ कहा गया, न ही अरविंद केजरीवाल की तरफ से लगता है कोई रिस्पॉन्स. वरना, स्वाति मालीवाल के नये सिरे से पोल-खोल अभियान चलाने की नौबत तो नहीं ही आती.
अरविंद केजरीवाल मानें या न मानें लेकिन स्वाति मालीवाल केस दिल्ली में उनके हिस्से की एक कमजोर कड़ी तो है ही - और लोकसभा चुनाव में इसकी एक झलक भी देखी जा चुकी है.
केजरीवाल के खिलाफ स्वाति की नई मुहिम