
अमिताभ बच्चन की नहीं, मेरी गलती थी, उन्होंने तो मुझ पर आंख बंद करके भरोसा किया, क्यों बोले रामू?
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राम गोपाल वर्मा ने फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक कई सुपरहिट फिल्में दी हैं. लेकिन उनके करियर का बुरा दौर 'रामगोपाल वर्मा की आग' से शुरू हुआ था. यह फिल्म 1975 में आई शोले का रीमेक थी.
फिल्म डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा की 'सत्या' हाल ही में सिनेमाघरों में फिर से रिलीज हुई है. अपनी फिल्म 'सत्या' की री-रिलीज के बाद राम गोपाल वर्मा ने एक इमोशनल नोट लिखा है. उन्हें इस बात का काफी ज्यादा दुख है कि वो अपनी सफलता को बरकरार नहीं रख पाए. जबकि राम गोपाल वर्मा 1990 से लेकर 2000 तक पॉपुलर डायरेक्टर थे. उन्होंने इस दशक में रंगीला, सत्या, कौन, भूत जैसे कई सुपरहिट फिल्में की थी.
फिल्म आग से शुरू हुआ था बुरा दौर
लेकिन उनके करियर का बुरा दौर 'रामगोपाल वर्मा की आग' से शुरू हुआ था. यह फिल्म 1975 में आई शोले का रीमेक था. हाल ही में, राम गोपाल वर्मा ने अमिताभ बच्चन के साथ अपने प्रोफेशनल रिश्ते पर बात की. रामगोपाल वर्मा ने कहा मैं अमिताभ बच्चन को फिल्म 'रामगोपाल वर्मा की आग' में निराश करने के लिए खुद को दोषी मानता हूं. यह फिल्म बस मजाक बन कर रह गया जिसके कारण अमिताभ बच्चन की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई.
अमिताभ को था अपने रामू पर पूरा भरोसा
गलाट्टा प्लस से बातचीच में 'रामगोपाल वर्मा की आग' पर डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा कहते हैं कि उन्हें फिल्म रिलीज होने से दो महीने पहले एहसास हो गया था कि गलत हो रहा है, लेकिन तब तक फिल्म बन चुकी थी. उन्होंने कहा कि उस समय उनका मानना था कि उन्होंने आग में सरकार की तुलना में ज्यादा मेहनत की थी. राम गोपाल वर्मा याद करते हुए कहते हैं, जब मेरे दिमाग में फिल्म का आइडिया आया तो मैंने इस पर टीम के साथ चर्चा की. जिसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन को एक खलनायक के रोल में रखा था. इस किरदार को सुन अमिताभ बच्चन भी बेहद खुश हुए थे. राम गोपाल वर्मा आगे कहते हैं अमिताभ ने मेरा प्रस्ताव सुनते ही 'हां' इसलिए किया कहा, क्योंकि उन्हें मुझ पर पूरा भरोसा था. उन्होंने इससे पहले मेरे साथ सरकार बनाई थी. ऐसे में उन्हें लगा मैं जो कह रहा हूं सोच समझकर ही कह रहा हूं.
फिल्म में इमोशन नहीं डाला था

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