
अमीरों का प्लेटफॉर्म बनकर रह गया है नेटफ्लिक्स, आम आदमी के दिल-जेब दोनों से दूर
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नेटफ़्लिक्स सभी स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स में सबसे महंगा है. महीने के 649 रुपये देने वाला इंसान सालभर में साढ़े 7 हज़ार रुपये से ऊपर खर्च कर देता है. अगर वो प्रीमियम की बजाय स्टैण्डर्ड प्लान भी ले, तो भी लगभग 6 हजार रुपये लुटाता है. इन 6 हजार रुपयों में एक ग्राहक डिज़्नी+हॉटस्टार या अमेज़न प्राइम की 4-4 साल सेवाएं ले सकता है. ये अंतर कितना बड़ा है, ये समझाने की कोशिश भी नहीं की जानी चाहिये.
29 अगस्त 1997 को मार्क रैनडॉल्फ और रीड हेस्टिंग्स ने घर-घर फिल्मों कि डीवीडी भेजने (किराए पर या खरीद कर) की कम्पनी शुरू की. नाम रखा नेटफ़्लिक्स. शुरू में मामला एक-एक डीवीडी का होता था लेकिन फिर बाद में लोगों के महीने-महीने के खाते भी शुरू हो गए. जिस कम्पनी ने 1997 में लगभग 925 डीवीडी के साथ शुरुआत की थी, 2005 तक ये कम्पनी 35 हजार फ़िल्मों की डीवीडी रखती थी और हर दिन 10 लाख डीवीडी लोगों तक पहुंचा रही थे.

सेंसर बोर्ड ने 'बैड न्यूज' में विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी के तीन किसिंग सीन काटकर करीब 27 सेकंड छोटे किए थे. सेंसर बोर्ड पहले भी फिल्मों में कई 'आपत्तिजनक' सीन्स कटवाता रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सेंसर बोर्ड्स 125 साल पहले लगी एक आग की वजह से अस्तित्व में आए? पेश है फिल्म सेंसरशिप का इतिहास.