
World Blood Donor Day 2021 : कोरोना वायरस ने किस तरह से रक्तदान को प्रभावित किया है?
BBC
यह उन लोगों की कहानी है जिन्हें कोविड-19 के दौरान अपनों के लिए ख़ून जुटाने में कड़ी मशक़्क़त करनी पड़ी है.
'हमारी बेटी सिमरन थैलेसीमिया की गंभीर मरीज़ है. उसे हर पंद्रह दिन में ख़ून चढ़ाना पड़ता है. लेकिन, इस बार, अप्रैल में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान, हमें उसके लिए 25 दिनों तक ख़ून नहीं मिला था.' 'समय पर ताज़ा ख़ून न चढ़ने से उसकी कमज़ोरी हर गुज़रते दिन के साथ बढ़ती ही जा रही थी. वो बहुत कमज़ोरी महसूस कर रही थी. हर बीतते दिन के साथ उसकी हालत बिगड़ती ही जा रही थी.' आएशा सिंधी, वडोदरा ज़िले के शिनोर तालुका में स्थित साधली गांव की रहने वाली हैं. अपनी पंद्रह बरस की बेटी सिमरन के लिए ख़ून का जुगाड़ करने में हुई मुश्किलें बताते हुए वो बहुत दुखी हो जाती हैं. उन दिनों सिमरन को चढ़ाने के लिए ख़ून का जुगाड़ करने के लिए आएशा ने जो संघर्ष किया, उसका हाल बयां करते हुए, वो कहती हैं कि, "ये अच्छी बात थी कि आख़िरी पलों में ख़ून की व्यवस्था हो गई, लेकिन, अगर ऐसा न हो पाता तो..." आएशा जैसे कई मां-बाप हैं, जिन्हें इस तकलीफ़देह तजुर्बे से ये सोचते हुए गुज़रना पड़ा था कि कहीं ख़ून का इंतज़ाम न हो सका तो क्या होगा.More Related News