Vinod Kambli: क्या से क्या हो गए कांबली! क्रिकेट करियर का स्वर्णिम आगाज, फिर 'आउट ऑफ ट्रैक', अब ऐसा हाल
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टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर विनोद कांबली क्रिकेट की दुनिया से लगभग कट चुके हैं. कांबली की सेहत भी उतनी दुरुस्त नहीं है और वो 52 की उम्र में ऐसे लगते हैं कि मानों 75 साल के हों. कांबली को ठीक से चल पाने में भी मुश्किल होती है.
मुंबई का आजाद मैदान... वही मैदान जहां 5 दिसंबर (गुरुवार) को महायुति के तीन दिग्गजों देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने शपथ लेकर नए सिरे से राजनीतिक इनिंग्स की शुरुआत की. देवेंद्र महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बने, वहीं अजित और एकनाथ ने इस राज्य के उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. आजाद मैदान आजकल राजनीतिक रैलियों या कार्यक्रमों के लिए फेमस हो चुका है. लेकिन यही मैदान क्रिकेट जगत के कई ऐतिहासिक पलों का गवाह बन चुका है.
साल 1988 में इसी मैदान पर रमाकांत आचरेकर के दो शिष्यों ने ऐसा प्रदर्शन किया था, जिसकी गूंज पूरे क्रिकेट जगत में सुनने को मिली थी. दरअसल उस साल 23-25 फरवरी के दौरान आजाद मैदान पर हैरिस शील्ड का सेमीफाइनल मुकाबला खेला गया था. उस मुकाबले में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने शारदाश्रम विद्यामंदिर टीम की ओर से सेंट जेवियर हाई स्कूल के खिलाफ नाबाद 664 रनों की अविश्वसनीय साझेदारी की थी.
इस पार्टनरशिप के दौरान सचिन 326 और विनोद कांबली 349 रनों पर नाबाद रहे थे. तब क्रिकेट के किसी भी आयु वर्ग में किसी विकेट के लिए यह सबसे बड़ी पार्टनरशिप थी. सचिन और कांबली ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों टी. पल्टन और एन. रिपन के बनाए गए 641 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ा था. हालांकि, 19 साल बाद हैदराबाद में मनोज कुमार और मो. शैबाज ने 721 रन की साझेदारी कर सचिन-कांबली का रिकॉर्ड तोड़ दिया था. खास बात यह है कि उसी मैच में कांबली ने गेंद से भी जलवा दिखाया और 37 रन देकर 6 विकेट झटके थे.
वह महासाझेदारी सचिन और कांबली के क्रिकेट करियर के लिए एक टर्निंग पॉइंट रही. उस पार्टनरशिप ने मुंबई और भारतीय टीम में दोनों खिलाड़ियों के चयन का रास्ता बनाया. सचिन तो अगले ही साल (1989) पाकिस्तान के खिलाफ कराची टेस्ट के जरिए इंटरनेशनल डेब्यू करने में सफल रहे. तब सचिन की उम्र सिर्फ 16 साल और 205 दिन थी, जबकि उनके जिगरी दोस्त कांबली को थोड़ा इंतजार करना पड़ा. कांबली ने अक्टूबर 1991 में पाकिस्तान के खिलाफ शारजाह के मैदान पर अपना ओडीआई डेब्यू किया. जबकि फरवरी 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ ईडन गार्डन्स में अपने करियर का पहला टेस्ट मैच खेला.
टेस्ट क्रिकेट में विनोद कांबली की शुरुआत इतनी शानदार रही थी कि पहले सात टेस्ट मैचों में उन्होंने चार शतक जड़ दिए, जिसमें दो तो डबल सेंचुरी थी. भारत की तरफ से टेस्ट क्रिकेट सबसे तेज 1000 रन बनाने का रिकॉर्ड अब भी विनोद कांबली के नाम पर ही दर्ज है. कांबली ने महज 14 पारियों में ही यह उपलब्धि हासिल कर ली थी. कांबली ने 18 नवंबर 1994 को वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए मुकाबले के जरिए टेस्ट में अपने 1000 रन पूरे कर लिए थे.
इसी बीच वनडे में भी विनोद कांबली ने कुछ शानदार पारियां खेलीं. 18 जनवरी 1993 को कांबली ने अपने 21वें जन्मदिन पर वनडे इंटरनेशनल में शतक जमाकर खास उपलब्धि हासिल की थी. उन्होंने जयपुर में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 100 रनों की पारी खेली थी. सचिन तेंदुलकर, सनथ जयसूर्या, रॉस टेलर, टॉम लैथम, मिचेल मार्श और विराट कोहली ही ऐसे बल्लेबाज हैं, जिन्होंने अपने जन्मदिन पर वनडे इंटरनेशनल में शतक जमाए.
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