UP: MLC चुनाव में भी चलेगा राजा भैया का बाहुबल, काशी में बृजेश सिंह का वर्चस्व रहेगा बरकरार
AajTak
Uttar Pradesh mlc election result 2022: उत्तर प्रदेश MLC चुनाव के नतीजे आज घोषित हो रहे हैं. यहां राजा भैया और बृजेश सिंह की साख दांव पर है.
उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय की 27 विधान परिषद (एमएलसी) सीटों के लिए मतगणना आज चल रही है. सूबे की 27 सीटों पर 95 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से ज्यादातर सीटों पर सपा और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला है. कुछ सीटों पर बाहुबली नेताओं की साख दांव पर है. सभी की निगाहें कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) और माफिया बृजेश सिंह पर भी हैं.
राजा भैया की साख एमएलसी चुनाव में प्रतापगढ़ में दांव पर लगी है, जहां उनके करीबी व रिश्तेदार अक्षय प्रताप सिंह चुनाव में जनसत्ता पार्टी से उम्मीदवार हैं. वहीं, माफिया व एमएलसी बृजेश सिंह की प्रतिष्ठा वाराणसी में दांव पर है, जहां से उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी और सपा के उम्मीदवार भी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन जिसका भी मुकाबला होना है वो इन्हीं दोनों प्रत्याशियों से है.
प्रतापगढ़ में राजा भैया बने बीजेपी के लिए चुनौती
प्रतापगढ़ की स्थानीय निकाय विधान परिषद सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला माना रहा है. बीजेपी से पूर्व विधायक हरिप्रताप सिंह मैदान में हैं तो सपा से विजय बहादुर यादव और अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल भैया ने जनसत्ता पार्टी से ताल ठोक रखी है. अक्षय प्रताप बाहुबली नेता व कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के रिश्तेदार हैं. राजा भैया ने इस सीट पर अक्षय प्रताप को जिताने में पूरी ताकत झोंक दी है, जिससे बीजेपी के लिए प्रतापगढ़ सीट पर अपने एमएलसी को बनाने की चुनौती खड़ी हो गई है.
राजा भैया के समर्थन से अक्षय प्रताप सिंह प्रतापगढ़ सीट से लगातार पांच बार से एमएलसी बनते आ रहे हैं. तीन बार से वो सपा के टिकट पर एमएलसी बन रहे हैं और 2016 में निर्विरोध चुने गए थे. 2018 में राजा भैया के अखिलेश यादव के साथ रिश्ते बिगड़ने के बाद अक्षय प्रताप सिंह सपा छोड़कर जनसत्ता पार्टी में शामिल हो गए थे और अब एमएलसी चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं.
सूबे में योगी सरकार के आने के बाद तमाम बाहुबली नेताओं पर नकेल कसी गई है, लेकिन राजा भैया के सियासी वर्चस्व को बीजेपी प्रतापगढ़ में तोड़ नहीं पाई. जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में बीजेपी ने सूबे भर में एकतरफा जीत दर्ज की थी, लेकिन प्रतापगढ़ सीट पर राजा भैया के समर्थित प्रत्याशी से बीजेपी को करारी मात मिली थी. इसके बाद विधानसभा चुनाव में कुंडा सीट पर राजा भैया के सामने बीजेपी प्रत्याशी की जमानत तक नहीं बची. राजा भैया कुंडा सीट पर खुद जीते और बाबागंज सीट पर अपनी पार्टी के विनोद सरोज को जिताने में कामयाब रहे. ऐसे में अब देखना है कि एमएलसी चुनाव में वो अपना सियासी वर्चस्व बचाए रख पाते हैं कि नहीं.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.