UP: 'सरकारी अस्पतालों में नहीं लिखी जाएंगी बाहर की दवाएं' हेल्थ मिनिस्टर के फरमान के बाद जानिए क्या है जमीनी हकीकत
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UP News: हेल्थ मिनिस्टर बृजेश पाठक के फरमान के बाद जमीनी हकीकत जानने के लिए 'आजतक' की टीम ने उत्तर प्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण शहरों में इसकी पड़ताल की.
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पार्ट- 2 का गठन होते ही सरकार के मंत्री एक्शन मोड में आ गए हैं. एक तरफ जहां नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने निर्देश जारी किया था कि शहरों में सफाई के वक्त अधिकारी मौके पर मौजूद रहें और साफ-सफाई की मॉनिटरिंग करें. तो वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने भी सुबह के मरीजों की सहूलियत के लिए यह निर्देश जारी किया कि सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों के लिए बाहर की दवाएं न लिखी जाएं. डिप्टी सीएम के इस निर्देश का ग्राउंड जीरो पर कितना असर पड़ा है? इसकी हकीकत जानने के लिए 'आजतक' की टीम ने उत्तर प्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण शहरों में इसकी पड़ताल की. आइए, जानते हैं कि किस शहर में ग्राउंड जीरो पर क्या हकीकत थी...
सबसे पहले हमने राजधानी लखनऊ में स्थित सरकारी अस्पताल का रुख किया. लखनऊ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल हॉस्पिटल में हमने पाया कि यहां पर कई मरीजों को अस्पताल से बाहर की दवाएं लिखी गई थीं. अस्पताल के बाहर दवा की दुकानों पर मरीजों की भीड़ थी. इनके हाथ में सिविल अस्पताल के पर्चे थे और वह लोग दवा खरीदने के लिए अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर पर लाइन लगाकर खड़े थे. मरीजों के तीमारदारों ने बताया कि जो डॉक्टर साहब ने दवा लिखी है तो खरीदना ही पड़ेगा. वहीं, दूसरी तरफ सिविल अस्पताल में मौजूद सीएमएस डाक्टर आरपी सिंह ने बताया कि सभी डॉक्टरों को अस्पताल के अंदर की दवाएं लिखने का निर्देश दिया गया है. अगर इसके बावजूद भी बाहर की दवा लिखी जा रही है, तो जो डॉक्टर बाहर की दवा लिखेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद 'आजतक' की टीम बलरामपुर हॉस्पिटल पहुंची. यह अस्पताल लखनऊ का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. यहां भी मरीजों के परिजन अस्पताल के बाहर खुली दवा की दुकानों से दवाई खरीद रहे थे.
गोरखपुर में सरकारी दावों की खुली पोल
सरकार चाहे जितने दावे कर ले, लेकिन ग्राउंड पर हकीकत कुछ और ही होता है. यही हाल हमारे योगी के गढ़ गोरखपुर में देखने को मिला. यहां पर सुभाष चंद्र बोस जिला अस्पताल में हमने पाया कि बहुत से ऐसे मरीज थे, जिन्हें अस्पताल के अंदर मौजूद मेडिकल स्टोर से दवाई नहीं मिल पाई थी और वह बाहर की दुकानों से दवाइयां खरीद रहे थे.
मरीजों और उनके तीमारदारों ने बताया कि उनको अस्पताल से पूरी दवाइयां नहीं मिली हैं. कुछ दवाइयों का ऑर्डर तो बाहर से किया जा रहा है. किसी को दवाइयां मिली भी हैं तो 5 दिन की जगह उसे 3 दिन की ही दवा दी गई है. लेकिन कुछ डॉक्टरों ने तो अंदर से ही पर्चा जारी करना शुरू कर दिया है. यह दवा बाहर से ले लो.
कोडवा से इलाज कराने के लिए आई सोनी गुप्ता ने बताया कि कुछ दवा अंदर से मिली है और कुछ दवा बाहर से मिली है. दूसरे मरीज मोहम्मद सईद ने बताया कि वह तुर्कमानपुर से आए हैं जो अपने शुगर और थायराइड के इलाज के लिए आए हैं. आधी दवा यहां से लिखी हुई है और आधी दवा बाहर से लिखी है.
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