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UP: न बांध, न ही मजदूर... फिर भी कागजों पर हो रहा काम, बाढ़ आई तो गांव में मचेगी तबाही!
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महराजगंज जिले के बीचों-बीच से बहने वाली रोहिन नदी इस साल भी नौतनवा, लक्ष्मीपुर, सदर व पनियरा क्षेत्र में तबाही मचा सकती है. क्योंकि मानसून दस्तक देने को करीब है, लेकिन अभी तक फ्लड फाइटिंग का कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है.
नेपाल से आने वाली रोहिन नदी महराजगंज जिले में हर साल बाढ़ का कहर बरपाती है. जिले के बीचों-बीच से बहने वाली यह नदी इस साल भी नौतनवा, लक्ष्मीपुर, सदर व पनियरा क्षेत्र में तबाही मचा सकती है. क्योंकि मानसून दस्तक देने को करीब है, लेकिन अभी तक फ्लड फाइटिंग का कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है.
सबसे जोखिम वाली स्थिति सदर क्षेत्र के सलामतगढ़ व जगपुर गांव के पास देखने को मिल रही है. यहां नदी का खतरनाक मोड़ है. इससे जगपुर गांव से सट कर धारा बह रही है. बांध है ही नहीं. सिंचाई विभाग बम्बूक्रेट का ठोकर बनाकर कटान रोकने का प्रयास कर रहा है, लेकिन बाढ़ बचाव का कार्य बेहद सुस्त है.
मनरेगा से बांध मरम्मत कार्य स्वीकृत हुआ है, लेकिन कार्य सिर्फ सरकारी अभिलेखों में ही दिख रहा है. धरातल पर फ्लड फाइटिंग का निशान भी नहीं है. सदर तहसील का ग्राम सलामतगढ़/जगपुर रोहिन के तट पर बसा है. यहां रोहिन नदी के तट से सटे करीब दस गांव बसे हुए है. बरसात के दिनों नेपाल के पहाड़ों पर बारिश होने के बाद रोहिन जब उफनाती है तो सबसे पहले जगपुर उर्फ सलामतगढ़ और इससे सटे कई गांवों को अपने चपेट में ले लेती है.
तटबंध के कटान से गांव में बाढ़ आ जाती है और ग्रामीणों का जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है. ग्रामीणों को राशन से लेकर उनके मवेशियों के रहने खाने तक के लाले पड़ जाते हैं. इस साल मानसून आने से पहले प्रशासन ने रोहिन के इस मोड़ पर बम्बू क्रेट का काम तेजी से कर रही है, जिससे नदी का यह मोड़ मजबूत हो जाएगा और नदी यहां कटान नहीं कर पाएगी.
लेकिन सिंचाई प्रशासन का यह काम कागजों में जो दिखाया जा रहा और मौके पर जो स्थिति है दोनों में बड़ा अंतर है. गांव के जागरूक युवाओं ने मनरेगा योजना के वेबसाइट पर देखा कि उनके गांव में बड़ी संख्या पर कटाव को रोकने का काम चल रहा है, यह काम ग्राम पंचायत व सिंचाई विभाग दोंनो मिलकर कर रही है.
वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, सिंचाई विभाग के साइड पर करीब चार सौ (400) श्रमिक प्रतिदिन काम कर रहे हैं और यहीं आंकड़े देख ग्रामीणों में आपाधापी मची हुई है. ग्रामीणों का कहना है कि करीब 400 श्रमिक की डिमांड कर इस कार्य को किया जा रहा है. मौके पर सात दिन तक मॉनिटरिंग किया गया. इस दौरान कोई भी मजदूर साइट पर नहीं दिखा.
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