UP: थाने में मौत- घर का सबसे बड़ा बेटा था अल्ताफ, पेंटिंग का करता था काम
AajTak
कासगंज की सदर कोतवाली की हवालात में बंद एक युवक की संदिग्ध मौत के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. मृतक युवक की पहचान सदर कोतवाली क्षेत्र के नगला सय्यैद अहरोली निवासी अल्ताफ के तौर पर हुई है. जो घरों में पेंटिंग और टाइल्स की दुकान पर मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था.
उत्तर प्रदेश के कासगंज की सदर कोतवाली की हवालात में बंद एक युवक की संदिग्ध मौत के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. मृतक युवक की पहचान सदर कोतवाली क्षेत्र के नगला सय्यैद अहरोली निवासी अल्ताफ के तौर पर हुई है. जो घरों में पेंटिंग और टाइल्स की दुकान पर मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था. वो अपने परिवार का बड़ा बेटा था.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.