UP: कोरिया, श्रीलंका और जापान के पर्यटकों को उन्हीं की भाषा में बौद्ध सर्किट पर मिलेगी जानकारी
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उत्तर प्रदेश आने वाले कोरिया, श्रीलंका और जापान के पर्यटकों को उन्हीं की भाषा में जानकारी दी जाएगी. प्रदेश सरकार ने इसके लिए विशेष तैयारियां की हैं. सरकार का मानना है कि इस पहल से यूपी के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. यूपी सरकार ने इसके लिए तीन भाषाओं की एक बुक तैयार कराई है.
उत्तर प्रदेश में कोरिया, श्रीलंका और जापान के पर्यटकों को अब उन्हीं की भाषा में बौद्ध सर्किट के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी. इससे बौद्ध सर्किट सहित छह जिलों के ओडीओपी उत्पादों की भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग होगी. कोरियन, सिंहली और जैपनीज भाषा में बौद्ध स्थलों से जुड़ी पुस्तक 'द पाथ' का अनुवाद हो चुका है. इसमें प्राचीन बौद्ध स्थलों की पूरी जानकारी, इतिहास से लेकर भूगोल तक बताया गया है.
दुनिया को शांति और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले गौतम बुद्ध ने प्रदेश के सारनाथ में ही धर्मचक्र प्रवर्तन का पहला उपदेश दिया था. इसके अलावा कुशीनगर में भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली भी है. भगवान बुद्ध से जुड़े पवित्र स्थलों को संवारने-संजोने पर योगी सरकार का विशेष ध्यान है. उत्तर प्रदेश सरकार बौद्ध सर्किट से जुड़े साहित्य का तीन भाषाओं में अनुवाद करा चुकी है.
उत्तर प्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक मुकेश मेश्राम ने कहा कि प्रदेश में बौद्ध सर्किट के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तक 'द पाथ' हमारे पास हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध है. श्रीलंका, जापान और कोरिया से काफी संख्या में पर्यटक उत्तर प्रदेश आते हैं. इस पुस्तक के अनुवाद का उद्देश्य है कि इन देशों से आने वाले पर्यटकों को उनकी भाषा में सही और पूरी जानकारी मिले.
पर्यटकों को भेंट की जाएगी पुस्तक
उत्तर प्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति विभाग श्रीलंका, कोरिया और जापान के पर्यटकों को यह पुस्तक भेंट स्वरूप देगा. बौद्ध सर्किट के इन स्थलों में कपिलवस्तु, कौशांबी और कुशीनगर और सारनाथ, श्रावस्ती और संकिसा हैं. प्रदेश में पर्यटकों की आवक भी बढ़ी है.
ओडीओपी से जुड़े इन उत्पादों की भी होगी ब्रांडिंग
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