
UAPA क़ानून पर दिल्ली हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी का क्या असर होगा?
BBC
UAPA क़ानून के इस्तेमाल को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने कई सवाल उठाए हैं. क्या कहना है इस क़ानून के तहत गिरफ़्तार लोगों के परिजनों और वकीलों का. क्या कुछ बदलेगा अदालत की टिप्पणी से?
"संयुक्त प्रवर समिति को एक गधा सौंपा गया था और समिति का काम था उसे घोड़ा बनाना लेकिन परिणाम यह निकला है कि वह खच्चर बन गया है. अब गृह मंत्रालय का भार ढोने के लिए तो खच्चर ठीक है लेकिन अगर गृहमंत्री यह समझते हैं कि वह खच्चर पर बैठकर राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की लड़ाई लड़ लेंगे, तो उनसे मेरा विनम्र मतभेद है." ये बातें साल 1967 में अटल बिहारी वाजपेयी ने तब कही थीं जब तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार यूएपीए क़ानून पारित करने की तैयारी में थी. यूएपीए यानी अनलॉफ़ुल एक्टिविटीज़ (प्रिवेंशन) एक्ट. वही यूएपीए जिसके दुरुपयोग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया है. साल 1967 में इंदिरा सरकार अनलॉफुल एक्टिविटीज़ प्रिवेंशन बिल लेकर आई थी और पारित होने से पहले संसद की जॉइंट सिलेक्ट कमिटी ने इसके ड्राफ़्ट में कुछ बदलाव किए थे. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी ने इस बिल का जमकर विरोध किया था और इसकी तुलना एक ऐसे 'गधे' से की थी जिसे 'घोड़ा' बनाने की कोशिश की गई हो लेकिन वो 'खच्चर' बन गया हो.More Related News