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Tokyo Olympics: मां ने गिरवी रखे गहने, लिया उधार,टोक्यो में चलेगी भवानी की तलवार
The Quint
Tokyo Olympics 2020: सीए भवानी देवी तलवारबाजी स्पर्धा के लिए ओलंपिक खेलों में क्वॉलिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला हैं. CA Bhavani Devi is the first Indian woman to qualify for the Olympic games for the fencing event.
सीए भवानी देवी (CA Bhavani Devi) तलवारबाजी स्पर्धा (Fencing) के लिए ओलंपिक खेलों (Tokyo Olympics 2020) में क्वॉलिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला हैं. चेन्नई की भवानी के लिए टोक्यो तक का सफर काफी संघर्ष भरा रहा है. आर्थिक और अन्य कठिनाईयों को पार करके उन्होंने इतिहास रचा है. आइए एक नजर डालते हैं भवानी देवी के संघर्ष भरी दास्तां पर...11 वर्ष की उम्र में भवानी ने उठाई तलवार, कक्षा 6 से कर रही हैं अभ्यासभवानी अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं. उन्होंने अपना पहला स्वर्ण पदक महज 12 वर्ष की उम्र में सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में जीता था. इस खेल में उनका आना एक संयोग ही था. दरअसल जब भवानी 11 साल की थीं, तब तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने स्पोर्ट्स इन स्कूल्स कार्यक्रम की शुरुआत की थी जिसमें तैराकी, स्क्वैश, तलवारबाजी और मुक्केबाजी जैसी आदि गतिविधियां बच्चों को सिखाई जाती थीं. भवानी ने इस कार्यक्रम के तहत स्क्वैश और तलवारबाजी को चुना, लेकिन जब दोनों ही विधा की प्रतियोगिताएं एक ही दिन पड़ीं तो उन्होंने इनमें से तलवारबाजी को चुना.इस चयन के पीछे भवानी की मां रमणी का हाथ था. उन्होंने ही भवानी को सुझाव को दिया था कि वह तलवारबाजी को चुने, क्योंकि वह एक नया खेल है. यह अलग तरह के इक्विपमेंट और गियर के साथ खेला जाता है.पहला स्वर्ण जीतने के बाद भवानी अपनी मां रमणी और सीनीयर प्लेयर गीता के साथ भवानी के ट्विटर हैंडल सेमहंगी तलवार टूट न जाए इसलिए बांस से करती थीं प्रैक्टिसभवानी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि शुरू में जब तलवार काफी महंगी होती तो हम बांस की लकड़ियों से खेला करते थे और अपनी तलवार केवल टूर्नामेंट के लिए ही इस्तेमाल करते थे, क्योंकि अगर ये टूट जातीं तो हम फिर से इनका खर्चा नहीं उठा सकते थे. भारत में इन्हें खरीदना आसान नहीं है, आपको ये आयात करनी पड़ती हैं. वहीं टोक्यो ओलंपिक प्लेटफार्म के लिए दिए गए एक इंटरव्यू में भवानी बताती हैं कि जब से मैंने तलवारबाजी शुरू की, मैं हमेशा इस खेल में कुछ बड़ा हासिल करना चाहती थी. मैं हर एक दिन प्रशिक्षण करती थी, जब बीमार होती थी तब भी प्रशिक्षण करती थी, इस लक्ष्य के साथ कि एक दिन मैं भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत सकूं.ADVERTISEMENTआर्थिक तंगी के बावजूद भी भवानी के घरवालों ने नहीं होने दी कोई...More Related News