Tanaz Mohammed: बंधनों को तोड़ मुस्लिम लड़कियों को फुटबॉल चैम्पियन बना रहीं... जानें कैसे रोल मॉडल बन गईं तनाज मोहम्मद
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मुंबई की तनाज मोहम्मद, जिन्होंने खेल से नाता 7 साल की उम्र में ही जोड़ लिया था... आज वो करीब 500 से ज्यादा लड़कियों को फुटबॉल सिखा रही हैं. तनाज ने मुस्लिम समुदाय की लड़कियों और सुख-सुविधाओं से वंचित बच्चे, जिनकी फुटबॉल में रुचि है उनको अपने साथ जोड़ा और उनमें जागरूकता पैदा की. मिलिए 29 साल की प्रीमियर स्किल्स कम्युनिटी की कोच तनाज हसन मोहम्मद से, जिन्होंने मिसाल कायम की है...
Tanaz Mohammed- Football for women's empowerment: अगर हौसले बुलंद हों तो आप क्या नहीं कर सकते. अपने संघर्ष और जज्बे से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. आपने बहुत लोगों को अपने सपने पूरा करते हुए सुना होगा, लेकिन मुंबई की तनाज मोहम्मद दूसरों के सपने पूरे करने में जुटी हुई हैं. वह खुद हौसले का पर्याय बन चुकी हैं.
नाम तनाज मोहम्मद, उम्र 29 साल और शहर मुंबई. परिचय छोटा लग सकता है, लेकिन कलेवर बहुत बड़ा है. तनाज ने 7 साल की उम्र में खिलाड़ी बनने का सपना देखा था. तनाज आज कई ऐसे बच्चों के सपने पूरे करने का जरिया बन गई हैं जो कभी सुविधाओं के अभाव तो कभी पाबंदियों की वजह अपने सपनों से किनारा कर चुके थे.
खुद को एक उदाहरण के रूप में किया पेश
प्रीमियर स्किल्स कम्युनिटी की कोच तनाज ने लगभग 500 लड़कियों को फुटबॉल की कोचिंग दी है, जिसमें स्पेशल चिल्ड्रेन (विशेष जरूरत वाले बच्चे) भी शामिल हैं. न केवल इतना, बल्कि खुद को एक उदाहरण के रूप में पेश करते हुए तनाज ने मुस्लिम समुदाय की लड़कियां, जिनकी फुटबॉल में रुचि रही, उनको अपने साथ जोड़ा और उनमें जागरूकता लाई. तनाज का मानना है कि किसी खास चीज को आजमाने के लिए लोगों को खुद पर गर्व महसूस कराना जरूरी है. ट्रेनिंग सेशन के दौरान उनका मुख्य उद्देश्य खिलाड़ियों को रचनात्मक फीडबैक के साथ प्रेरित करना है, ना कि नकारात्मक टिप्पणियों के साथ उन्हें नीचे धकेलना.
बिना हिजाब और शॉर्ट्स में खेलना हिचक का कारण
तनाज लड़कियों को साल 2017 से फुटबॉल सिखाने का काम कर रही हैं. तनाज अब तक मुस्लिम समुदाय की करीब 500 लड़कियों को कोचिंग दे चुकी हैं. जिन महिलाओं को हमेशा ये याद दिलाया जाता रहा है कि महिलाएं खेलों में शामिल नहीं हो सकतीं, तनाज को इन महिलाओं के खुद से बनाए प्रतिबंध को तोड़ने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.
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