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Siva Industries case: डिफॉल्ट प्रमोटर्स को IBC के तहत क्या अपनी फर्म को काफी छूट में खरीदने इजाजत होनी चाहिए?
ABP News
कैपस्टोन लीगल के मैनेजिंग पार्टनर आशीष सिंह ने एबीपी न्यूज को बताया, 'हालांकि वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) में प्रवेश करने में कोई विशेष रोक नहीं है, लेकिन विलफुल डिफॉल्टर के साथ कोई भी व्यवस्था निश्चित रूप से आईबीसी की धारा 29 ए की भावना के खिलाफ है.'
शिवा इंडस्ट्रीज एंड होल्डिंग लोन सेटलमेंट के मामले में इस वक्त गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसका कारण है कि बैंकों ने इस ग्रुप होल्डिंग कंपनी के विरुद्ध दिवालिया कार्यवाही वापस लेने पर अपनी सहमति दी है. यानी IDBI बैंक के नेतृत्व में भारतीय लेनदारों ने IBC के अंतर्गत शिवा इंडस्ट्रीज के एकमुश्त निपटान प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. जिसके बाद लेनदारों को 5 करोड़ रुपये अग्रिम नकद के रूप में मिलेंगे. लेनदारों का कंपनी पर 4 हजार 863 करोड़ रुपये का बकाया है. लेकिन इसमें से उसे सिर्फ 318 करोड़ रुपये ही मिल पाएगा. इस तरह लेनदारों को अपने बकाये पर करीब 93.5% का नुकसान उठाना होगा.More Related News