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Shri Krishna Leela: रासलीला के लिए भगवान शंकर बने गोपी, मिला गोपेश्वर नाम
ABP News
रासलीला में कृष्ण की बांसुरी और गोपियों का आनंद देखकर महाशिव भी खुद को नहीं रोक पाए. उसका हिस्सा बनने के लिए उन्होंने गोपी रूप धारण कर लिया और धरती पर आए तो कृष्ण ने उन्हें गोपेश्वर नाम दिया.
Shri Krishna Leela: रासलीला, जिसके बारे में सभी ने सिर्फ सुना है, कृष्ण के सिवा वहां किसी और पुरुष की उपस्थिति मान्य नहीं थी मगर इसका हिस्सा बनने के लिए भस्म से श्रृंगार करने वाले भोला भंडारी भी खुद को नहीं रोक सके. कृष्ण प्रेम में शंकर ने गोपी का भेष धारण कर लिया और सुध-बुध खोकर जमकर थिरके, मगर कृष्ण ने उन्हें पहचान लिया और शिव के गोपी स्वरूप को गोपेश्वर नाम दिया.कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव कैलाश पर्वत पर ध्यान में मग्र थे, उन्हें ध्यान में असीम आनंद महसूस हो रहा था. दूसरी ओर कृष्ण की बांसुरी की तान पर गोपियां रासलीला कर रही थी. शिवजी को आभास हुआ कि उन्हें आनन्द की अनुभूति उसकी बांसुरी की धुन से मिल रही है, जिस पर गोपियां थिरक रही हैं. शिव से रहा नहीं गया तो वे भी रासलीला का हिस्सा बनने के लिए वृन्दावन खिंचे चले गए. यहां जैसे ही शिव प्रवेश करने लगे तो नदियों की देवी वृन प्रकट हुईं, उन्होंने शिवजी को रोक दिया. वृन देवी ने शिवजी को बताया कि रासलीला में कृष्ण के अतिरिक्त कोई पुरुष शामिल नहीं हो सकता. यकीनन शिव के लिए यह विचित्र स्थिति थी, क्योंकि शिव को पौरुष का प्रतीक माना जाता है. शिव दुविधा में पड़ गए, इधर गुजरते समय के साथ रासलीला चरम पर पहुंच रही थी. शिव समय बर्बाद नहीं करना चाहते थे और गोपी का भेष धारण करने को तैयार हो गए. घूंघट लेकर रासलीला का हिस्सा बनने के लिए चल दिए. वहां कृष्ण बांसुरी की तान पर वह इतने मस्त हो गए कि अपनी सुधबुध खो बैठे. नृत्य करते वक्त सिर से पल्लू हट गया. शिवजी को देखकर राधा और गोपियों डर गईं, लेकिन कृष्ण मुस्कुराने लगे.More Related News