SEBI चीफ माधबी पुरी बुच फिर मुश्किल में, हिंडनबर्ग के बाद अब ये नई रिपोर्ट...
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रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक बुच ने अपने सात साल के कार्यकाल के दौरान एक कंसल्टेंसी फर्म से रेवेन्यू कमाना जारी रखा, जो संभावित रूप से नियामक अधिकारियों के लिए नियमों का उल्लंघन था.
भारतीय बाजार नियामक सेबी (SEBI) चीफ माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक बुच ने अपने सात साल के कार्यकाल के दौरान एक कंसल्टेंसी फर्म से रेवेन्यू कमाना जारी रखा, जो संभावित रूप से नियामक अधिकारियों के लिए नियमों का उल्लंघन था. रॉयटर्स ने सार्वजनिक दस्तावेजों के रिव्यू के बाद ये रिपोर्ट जारी की है.
बता दें, माधबी पुरी बुच ने 2017 में सेबी को ज्वाइन किया था, और मार्च 2022 में उन्हें सेबी प्रमुख बनाया गया था. सेबी के 2008 के नियमों के अनुसार कोई भी अधिकारी ऐसा पोस्ट नहीं होल्ड कर सकता है, जिससे उससे प्रॉफिट हो रहा हो या सैलरी मिल रही हो या फिर अन्य पेशेवर शुल्क लिया जा रहा हो.
रॉयटर्स की रिपोर्ट में बड़ा आरोप
माधबी पुरी बुच ने हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद कहा था कि कल्सटेंसी फर्म की जानकारी सेबी को दी गई थी. 2019 में उनके पति यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद इस कंसल्टेंसी बिजनेस को संभाल रहे थे. हालांकि रॉयटर्स की इस रिपोर्ट पर अभी तक माधबी पुरी बुच या सेबी का कोई बयान नहीं आया है.
बता दें, अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने 10 अगस्त को अपनी ताजा रिपोर्ट में दो कंसल्टेंसी फर्म की बात कही थी. रिपोर्ट के अनुसार सिंगापुर की अगोरा पार्टनर्स और इंडिया की अगोरा एडवाइजरी का संचालन माधबी पुरी बुच और उनके पति कर रहे थे. हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में सिंगापुर कंपनी रिकॉर्ड के आधार पर कहा था कि माधबी पुरी बुच ने अगोरा पार्टनर्स की अपनी पूरी हिस्सेदारी को मार्च 2022 मेंअपनी पति को ट्रांसफर कर दिया था. लेकिन उनकी इंडियन कंसल्टेंसी फर्म में हिस्सेदारी थी.
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