Scrap Policy: क्या है सरकार की स्क्रैप पॉलिसी और ऑटो इंडस्ट्री पर क्या होगा इसका असर, जानें इसके बारे में सबकुछ
ABP News
सरकार का कहना है कि दिल्ली कानपुर, मुबई जैसे शहरों में प्रदूषण ज्यादा है. पुराने वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं. इस पॉलिसी के तहत पुराने वाहनों के स्क्रैप होने से शहरों की आबोहवा में सुधार होगा.
पिछले कुछ महीनों पहले देश की संसद में स्क्रैप पॉलिसी की घोषणा की गई थी, जिसमें बताया गया था कि कैसे ये भारत के ऑटो सेक्टर को बूस्ट करेगी. इस कोरोना काल में ऑटो इंडस्ट्री को काफी नुकसान हुआ है, ऐसे में सरकार की मंशा है कि इस सेक्टर को कैसे दोबारा मजबूत किया जाए. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया था कि इस स्क्रैप पॉलिसी की मदद से ऑटो सेक्टर में 30 फीसदी तक की ग्रोथ होगी. ये पॉलिसी अगले साल अप्रैल से अमल में लाई जाएगी. आइए जानते हैं कि क्या है ये पॉलिसी और क्यों इसकी जरूरत पड़ी. साथ ही ये भी जानते हैं कि इसके क्या-क्या फायदे हैं. क्या है स्क्रैप पॉलिसी?इस नई स्क्रैप पॉलिसी के मुताबिक 15 और 20 साल पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप (कबाड़) कर दिया जाएगा. कमर्शियल गाड़ी जहां 15 साल बाद कबाड़ घोषित हो सकेगी, वहीं निजी गाड़ी के लिए यह समय 20 साल है. अगर सीधे शब्दों में कहें तो आपकी 20 साल पुरानी निजी कार को रद्दी माल की तरह कबाड़ी में बेच दिया जाएगा. वाहन मालिकों को तय समय बाद ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर ले जाना होगा. सरकार का दावा है कि स्क्रैपिंग पॉलिसी से वाहन मालिकों का न केवल आर्थिक नुकसान कम होगा, बल्कि उनके जीवन की सुरक्षा हो सकेगी. सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी होगी.More Related News