SC में 1962 की जंग का जिक्र, चारधाम हाईवे परियोजना पर सरकार ने दिया जवाब
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सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान 1962 की जंग का जिक्र आया. चारधाम हाईवे परियोजना के तहत सड़क चौड़ीकरण से जुड़ी एक अर्जी पर सुनवाई के दौरान सरकार ने अपने जवाब में कल कहा कि हम 1962 की तरह सोते हुए नहीं रह सकते. 1962 में जंग के वक्त समय पर सेना और सप्लाई नहीं पहुंच सकी थी. सरकार के मुताबिक 1962 के बाद हालात बदले हैं. ये मुद्दा चारधाम तीर्थयात्रियों से ज्यादा सेना की जरुरतों का है. चीन ने उस पार बड़ा बुनियादी ढांचा तैयार कर लिया है. चीन के निर्माण को सेना ने गंभीरता से लिया है. सेना की सीमा तक शीघ्रता से आवाजाही के लिए चौड़ी और बेहतर सड़क जरूरी है. ज्यादा जानकारी के लिए देखें वीडियो.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
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हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.