
SC का CBI, गुजरात सरकार से सवाल, तीस्ता सीतलवाड़ को वापस जेल क्यों भेजना चाहते हैं?
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NGO के फंड के दुरुपयोग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को मिली अग्रिम जमानत के मामले में मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए सीबीआई और गुजरात सरकार से कहा कि क्या आप तीस्ता और उनके पति जावेद को वापस हिरासत में भेजना चाहते हैं? वो दोनों सात साल से अधिक समय से जमानत पर बाहर हैं.
NGO के फंड के दुरुपयोग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को मिली अग्रिम जमानत के मामले में मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए सीबीआई और गुजरात सरकार से कहा कि क्या आप तीस्ता और उनके पति जावेद को वापस हिरासत में भेजना चाहते हैं? वो दोनों सात साल से अधिक समय से जमानत पर बाहर हैं. आखिर सात साल से अग्रिम जमानत का मामला लंबित क्यों रहा? सवाल यह है कि आप किसी को कब तक हिरासत में रख सकते हैं? अग्रिम जमानत दिए हुए सात साल बीत चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल चार हफ्ते के लिए मामले को टाल दिया है.
सीबीआई और गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए वकील रजत नायर ने कहा कि मामले के सिलसिले में कोर्ट के सामने कुछ अतिरिक्त सामग्री प्रस्तुत करने की जरूरत पड़ेगी, इसलिए चार हफ्ते का वक्त दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि नियमित जमानत मिलने के बाद अग्रिम जमानत के खिलाफ जांच एजेंसी की अपील टिक नहीं पाती है. नायर ने कहा कि यह एक मामले में हुआ था लेकिन उनके खिलाफ एक से अधिक मामले हैं और अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें रिकॉर्ड पर अतिरिक्त सामग्री रखने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाए.
नायर ने कहा, "दो न्यायाधीशों की एक पीठ ने इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया है और ऐसे सवाल तैयार किए हैं, जिन पर इस अदालत को फैसला करने की जरूरत है." खंडपीठ ने मामले को चार सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
सिब्बल ने पहले के निर्देश के अनुसार बेंच को एक नोट प्रस्तुत किया, जिसमें उन मुद्दों का विवरण दिया गया है, जिनमें से कौन सी अपील विचार के लिए बची है और किस विषय पर निर्णय लिया जाना है, क्योंकि समय बीतने के कारण कुछ पहलुओं का ध्यान रखा जा सकता है. शीर्ष अदालत सीतलवाड़, आनंद, गुजरात पुलिस और सीबीआई द्वारा दंपति के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

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