Sangrur result: संगरूर में हार, लोकसभा में 00 हो जाना... क्यों AAP से ज्यादा भगवंत मान के लिए झटका?
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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने संगरूर सीट पर दो बार जीत हासिल की थी. इस साल के फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों में भी आम आदमी पार्टी ने लोकसभा क्षेत्र की सभी 9 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. उपचुनाव के नतीजों के बाद पार्टी ने अपनी हार मानते हुए संगरूर की जनता के साथ-साथ पंजाब की जनता की प्रगति के लिए और कड़ी मेहनत करने का वादा किया है.
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 100 दिन पहले 117 विधानसभा सीटों में से 92 सीटें जीतकर इतिहास रचा था. मुख्यमंत्री का ताज भगवंत मान सिंह के सिरा सजा था. तीन महीने बाद भगवंत मान के गृह क्षेत्र संगरूर में आम आदमी पार्टी अपना किला बचाने में पूरी तरह विफल रही है. AAP ने अपनी इकलौती संसदीय सीट गंवा दी है और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत मान सांसद चुने गए हैं. संगरूर उपचुनाव की हार को आम आदमी पार्टी के साथ-साथ मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए सियासी तौर पर बड़ा झटका माना जा रहा है?
संगरूर लोकसभा सीट मुख्यमंत्री भगवंत मान के इस्तीफे से खाली हुई थी, जिसके चलते उपचुनाव हुए थे. इस संसदीय सीट के तहत 9 विधानसभा सीटें आती हैं. 2022 के फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में सभी 9 सीटें आम आदमी पार्टी जीतने में सफल रही थी, लेकिन उपचुनाव में पार्टी न तो सीट बचा सकी और न ही वोट शेयर. 2019 में AAP का वोट शेयर 37 प्रतिशत था जो उपचुनाव में घटकर 34.79 प्रतिशत रह गया. अकाली दल (अमृतसर) 35.61 वोट शेयर के साथ ये सीट जीतने में कामयाब रही.
पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बने अभी 100 दिन ही हो रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह क्षेत्र संगरूर में पार्टी की हार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. साथ ही इस हार में भगवंत मान के लिए भी संदेश छिपा है. दिल्ली के सीएम केजरीवाल की तरह भगवंत मान खुद पंजाब में अभी तक कोई छाप नहीं छोड़ पाए हैं और न ही अपना सियासी प्रभाव जमा सके हैं. इसी का नतीजा है कि उन्हें घर में ही सियासी मात मिली है.
सूबे में 100 दिन की सरकार में भ्रष्टाचार के आरोप के चलते भगवंत मान के एक मंत्री को कुर्सी छोड़नी पड़ी है. कानून व्यवस्था पर अभी तक किसी तरह अंकुश नहीं लग सका है. पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की सरेआम हत्या कर दी गई तो बेदअबी का मामला अभी तक सुलझ नहीं सका है. ऐसे में संगरूर लोकसभा सीट के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की हार और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत मान की जीत ने भगवंत मान सिंह के लिए टेंशन खड़ी कर दी है.
1. सिद्धू मूसेवाला फैक्टर
पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की 29 मई को मानसा में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी. मूसेवाला संगरूर से सांसद बने सिमरनजीत सिंह मान के करीबी थे और उन्हें बापू (पिता का रूप) कहते थे. एक वायरल वीडियो में मूसेवाला ने कहा था कि वे सिमरनजीत मान से मिलना चाहते हैं. ऐसे में मूसेवाला की हत्या से पैदा हुई सरकार विरोधी लहर से जाहिर तौर पर सिमरजीत सिंह मान को फायदा हुआ माना जा रहा है. मूसेवाला के समर्थक राज्य सरकार से नाराज़ थे, जिसने उनकी हत्या से ठीक पहले उनके सुरक्षा घेरे में कटौती की थी. मूसेवाला के अंतिम संस्कार में उनके पिता की हालत देख बुजुर्ग भी भावुक हो गए थे. माना जा रहा है कि उपचुनाव में आम आदमी पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ा.
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