Sahitya Aajtak 2023: नेताजी की विरासत पर क्या रही विश्लेषकों की राय, जानिए किसने क्या कहा
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कोलकाता में 'साहित्य तक' के सबसे बड़े मंच का आयोजन हुआ. साहित्य के इस मंच पर बड़े-बड़े लेखक-लेखिकाओं, राजनीतिज्ञ, सीने कलाकारों ने अपनी राय रखी. साहित्य तक के सेशन 'नेताजी की विरासत' में सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक चंद्र कुमार बॉस, टीएमसी से राज्यसभा सांसद सुखेन्द्र शेखर रॉय और राजनीतिक विश्लेषक निलाद्री बनर्जी शामिल हुए.
कोलकाता में 'साहित्य तक' के सबसे बड़े मंच का आयोजन हुआ. साहित्य के इस मंच पर बड़े-बड़े लेखक-लेखिकाओं, राजनीतिज्ञ, सीने कलाकारों ने अपनी राय रखी. साहित्य तक के सेशन 'नेताजी की विरासत' में सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक चंद्र कुमार बॉस, टीएमसी से राज्यसभा सांसद सुखेन्द्र शेखर रॉय और राजनीतिक विश्लेषक निलाद्री बनर्जी शामिल हुए.
सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक चंद्र कुमार बॉस ने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस एक मात्र नेता हैं जिन्होंने सब धर्म को एक बनाया था ये आज की वर्तमान भारत की राजनीति में बहुत महत्व रखता है. एक मात्र रास्ता नेताजी ने दिखाया और वह भारतीयता का मंत्र था. अगर उस मंत्र को नहीं माना गया तो भारत का बंटवारा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि आज के नेतृत्व में सब दल को साथ आना चाहिए और भारत के संविधान की रक्षा करनी चाहिए.
सुभाष चन्द्र बोस के बिना सब अधूरा नेताजी की विरासत के सवाल पर राज्यसभा सांसद सुखेन्द्र शेखर रॉय ने कहा कि आजादी का 75वां साल खत्म हो गया और अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, लेकिन नेताजी के बिना सब अधूरा है. नेताजी ने इंडियन स्ट्रगल नाम से किताब लिखी थी. नेताजी चाहते थे कि राष्ट्रीयता को बढ़ावा देना है, धर्मनिरपेक्षता को बढ़ाना है और अमीर-गरीब के बीच की खाई को कम करना है. आज के भारत में 1 फीसद लोगों के पास सबसे ज्यादा धन है.
मैं नेताजी के परिवार का हिस्सा राजनीतिक विश्लेषक निलाद्री बनर्जी ने कहा कि मैं खुद को नेताजी के परिवार का हिस्सा मानता हूं. नेताजी का परिवार पूरा हिंदुस्तान है. उन्होंने कहा कि आजाद हिंद फौज से जुड़े किसी को भी इंडियन आर्मी में जगह नहीं मिली. भारत सरकार का आदेश था कि नेताजी का फोटो कहीं नहीं लगेगा. लेकिन नेताजी सबके दिलों में है. बनर्जी ने कहा कि भारत 1947 के बाद से GDP में बहुत आगे नहीं बढ़ पाया. जबकि चीन आज कहां से कहां पहुंच गया. उन्होंने कहा कि नेताजी का विरासत राष्ट्रवाद है. आज के समय में नेताजी को भूलने के साथ उनके विचारधारा को भी भूला दिया गया.
आर्थिक और सामाजिक आजादी अब तक नहीं मिली चंद्र कुमार बॉस ने कहा कि नेताजी का परिवार पूरे भारत देश के लोग हैं. नेताजी सामजिक, आर्थिक और समानता चाहते थे. हमलोगों को राजनीतिक आजादी मिल गई, लेकिन आर्थिक और सामाजिक आजादी नहीं मिली है. नेताजी ने धर्म को कभी राजनीति में नहीं मिलाया. वो दोनों को अलग रखते थे. वो धार्मिक थे लेकिन धर्म को हमेशा राजनीति से अलग रखते थे. नेताजी सबको एक समान देखते थे. उन्होंने कभी भी विभाजन की सोच नहीं रखी. नेताजी को सही सम्मान मूर्ति स्थापित करके नहीं दिया जा सकता. उनका सही सम्मान उनके आदर्श को अपनाना होगा.
नेताजी पर लिखी किताब पब्लिश होनी चाहिए राज्यसभा सांसद सुखेन्द्र शेखर रॉय ने कहा कि नेताजी अगर आजादी के बाद कमान संभालते तो भारत आज बहुत आगे रहता. 1948, 49 में आजाद हिंद फौज को लेकर एक किताब लिखी गई थी. उसका नाम था A History of Indian National Army. लेकिन आज तक भारत सरकार ने उस किताब को पब्लिश नहीं किया. उस सरकार में भी और इस सरकार में भी किताब को पब्लिश नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि नेताजी की मौत के रहस्य को हमेशा छुपाया गया. सुखेन्द्र शेखर रॉय ने कहा कि नेताजी ने आजादी की अलग परिभाषा दी थी. सुभाष चंद्र बोस की विरासत हमारे दिल में हमेशा जलती रहे. यही हमारी कामना है.
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