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Russia-Ukraine war: बाइडेन के कमजोर फैसलों ने धूमिल की अमेरिका की छवि, कब तक जंग से दूर रहेगा NATO?
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लंबी खिंच चुकी रूस-यूक्रेन जंग के बाद भी दोनों देशों के शीर्ष नेताओं में से कोई भी झुकने को तैयार नहीं है. यूक्रेन पर लगातार जारी रूसी हमलों के बाद भी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलेडिमिर जेलेंस्की पीछे हटने को तैयार नहीं है. 20 दिन से जारी ये जंग अब दुनिया के लिए चिंता का कारण बन गई है.
रूस और यूक्रेन की जंग पिछले 20 दिन से जारी है. पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में कई युद्ध हुए. लेकिन तीसरे विश्व युद्ध का खतरा आज से पहले इतना ज्यादा कभी नहीं था. अमेरिका और नाटो देशों की धमकियों, चेतावनियों और प्रतिबंधों के सामने पुतिन हथियार डालने को तैयार नहीं हैं. रूस कभी नाटो देशों के आसमान में ड्रोन से जासूसी कर रहा है तो कभी पोलैंड के करीब मिसाइलों की बारिश कर रहा है. सवाल ये है कि पुतिन ये सब क्यों कर रहे हैं ? क्या वो नाटो को डराना चाहते हैं. या फिर वो नाटो के सब्र का इम्तिहान ले रहे हैं? सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि मौजूदा हालात में नाटो देश इस जंग से कब तक खुद को दूर रख पाएंगे ?
मारयूपोल में रूस ने यूक्रेन के कमांड सेंटर को रॉकेट से तबाह कर दिया है. पूरा शहर जल रहा है, लेकिन दुनिया यावोरिव शहर को लेकर चिंतित है. इसकी सबसे बड़ी वजह उसकी लोकेशन है. यावोरिव यूक्रेन के सुदूर पश्चिम में स्थित है, जहां यूक्रेन का सैन्य अड्डा है. यहा 360 स्कवायर किलो मीटर में फैला है. इसमें यूक्रेन की सेना के सबसे प्रमुख हिस्सों के ठिकाने हैं और यूक्रेनी सेना के कई ट्रेनिंग एरिया हैं. यावोरिव का ये इलाका पोलैंड के बेहद करीब है. यहां से पोलैंड का बॉर्डर सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है. पोलैंड उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का हिस्सा है.
पीछे हटने को बिल्कुल भी तैयार नहीं पुतिन
रूस की मिसाइलें नाटो देशों के दरवाजे पर फट रही हैं. यावोरिव पर हमला कर पुतिन ने बता दिया है कि वे यूक्रेन पर शिकंजा कसने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. भले ही इसके लिए उन्हें नाटो के दरवाजे पर ही क्यों मिसाइलें न गिरानी पड़े. बड़ी बात ये है कि जिस यावोरिव के इंटरनेशनल पीसकीपिंग एंड सिक्योरिटी सेंटर पर हमला किया गया. वहां नाटो के साथ यूक्रेन सैन्य अभ्यास करता रहा है. रूसे के हमले से पहले भी यहां पर नाटो देशों ने ड्रिल की थी और यूक्रेन की सेना को जंग में लड़ने के गुर सिखाए थे. रूस ने हमले के एक दिन पहले ही बता दिया था कि वो पोलैंड के करीब यावोरिव पर हमला करेगा, क्योंकि वहां से यूक्रेन को सैन्य सहायता मिल रही है. लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि रूस सही में 24 घंटे के अंदर ही हमला कर देगा.
अफगानिस्तान में US की नीति से धूमिल हुई छवि
दूसरे विश्व युद्ध ने अमेरिका को दुनिया की सुपर पावर बनाया था. जापान पर एटम बम गिराकर अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध का खात्मा किया था. लेकिन आज हालात बदले हुए हैं. आज अमेरिका से ज्यादा एटम बम रूस के पास हैं. इसीलिए दुनिया जानना चाहती है कि अगर पुतिन की मनमानी जारी रही तो फिर रूस को कौन रोकेगा? इस सवाल पर नजरें अमेरिका पर टिक जाती हैं, जिसके पास दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना है. आधुनिक और खतरनाक हथियार हैं. वो सबकुछ है, जो उसे दुनिया की सुपर पावर बनाता है. लेकिन सवाल यह है कि क्या अमेरिका दोबारा ऐसा करेगा? लेकिन अफगानिस्तान में जो हुआ उसे देखकर तो नहीं लगता. तालिबान के आने से पहले ही जिस तरह से अमेरिका ने बोरिया बिस्तर समेटा उसने न सिर्फ सुपर पावर वाली उसकी छवि को धूमिल किया, बल्कि पुतिन का हौसला भी बढ़ाया. पोलैंड जैसे नाटो देश, जहां लगातार यूक्रेन की मदद करने की पहल कर रहे हैं, तो बाइडेन उसे ऐसा करने से रोक रहे हैं.
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