Ramayan: सरोवर से निकली मोहिनी के बालों से बाली तो गले से जन्मे थे सुग्रीव
ABP News
रामायण काल में बाली किष्किन्धा के राजा और वानराश्रेष्ठ महाराज रीछ के पुत्र थे, बाली का जन्म देवताओं के राजा इंद्र के जरिए एक मोहनी के बाल और सुग्रीव का गले से हुआ था, दोनों भाइयों का नाम बाली और सुग्रीव पड़ा.
Ramayan : पौराणिक कथाओं के अनुसार सुमेरु पर्वत पर ब्रम्हा जी का कोर्ट था. यह 100 योजन विस्तृत क्षेत्र में फैला था. एक बार तपस्या करते हुए ब्रम्हा जी की आंख से आंसू की दो बूंद गिर रही थी तो ब्रम्हा जी ने हाथ से पोंछ दिया. तब एक बूंध धरती पर गिर गई, जिससे एक वानर का जन्म हुआ. तब उन्होंने वानर से कहा- तुम इस पहाड़ की चोटी पर रहोगे. कुछ समय बाद यह अच्छा होगा. इस पर वानर वहीं रहकर रोज ब्रम्हाजी को पुष्प अर्पित करता रहा. काफी दिन बाद एक दिन रीछराज वहां से गुजरे, उन्हें तेज प्यास लगी थी तो तालाब में झुक कर पानी पीने लगे. इस दौरान वहां एक परछाई दिखाई दी. उन्हें लगा कि कोई दुश्मन मारने वाला है तो वे तालाब में कूद गए. लेकिन जब निकले एक खूबसूरत युवती में बदल चुके थे. इसी बीच इंद्र और सूर्यदेव वहां से गुजर रहे थे, उनकी नजर सुंदर युवती पर पड़ी तो दोनों ही मोहित हो गए. इसके चलते इंद्र की मणि सुंदरी के सिर पर जा गिरी, जिससे एक वानर का जन्म हुआ. चूंकि वानर का जन्म युवती के बालों से हुआ था, इसलिए नाम बाली पड़ा. जबकि सूर्य की मणि उस युवती के गले पर जा गिरी, इस कारण एक और वानर का जन्म हुआ जो कि सुग्रीव कहलाया. हालांकि दोनों भाई एक जैसे दिखते थे, यही वजह थी कि वध के समय राम को सुग्रीव की पहचान करने के लिए गले में माला डालनी पड़ी थी.More Related News