
Rajasthan: शादियों में क्यों होती है तोरण की रस्म? जानिए क्या है इसकी मान्यता और इतिहास
ABP News
दूल्हा जब अपनी बारात लेकर दुल्हन के घर पहुंचता है तो सबसे पहली रस्म यह होती है. तोरण कितने प्रकार के होते हैं और तोरण की क्या मान्यता है और तोरण का क्या इतिहास है आइए जानते हैं.
Jodhpur News: हिंदू रीति रिवाज के अनुसार होने वाली शादी में कई रस में होती हैं. इनमें भी सबसे अहम होती हैं मेहंदी, हल्दी, गणपति निमंत्रण, तोरणमार,अग्नि के सात फेरों की रस्म. आज हम आपको तोरण की रस्म के बारे में बताने जा रहे हैं. दूल्हा जब अपनी बारात लेकर दुल्हन के घर पहुंचता है तो सबसे पहली रस्म यह होती है. तोरण कितने प्रकार के होते हैं और तोरण की क्या मान्यता है और तोरण का क्या इतिहास है आइए जानते हैं.
दो प्रकार के होते हैं तोरणदरअसल तोरण दो प्रकार के होते हैं. एक तो शादी विवाह के दौरान दुल्हन के दरवाजे पर बंधने वाला तोरण. इस पर तोते का निशान होता है. वहीं दूसरा घर में शुभ कार्य या गृह प्रवेश या अनुष्ठान के दौरान लगाया जाने वाला तोरण. इस पर गणेश जी और स्वास्थ्य का निशान होता है. लेकिन पिछले कुछ समय से फैशन और रेडीमेड तोरण आने के बाद शादी वाले घर में दुल्हन के दरवाजे पर बंधने वाला तोरण उस पर गणेश जी व स्वास्थ्य की फोटो लगी होती है जो कि एक तरह से अपशकुन माना जाता है लेकिन लोगों की जानकारी नहीं होने के चलते इस तरह से काम होता है.