Raaj Ki Baat: जम्मू कश्मीर में परिसीमन का स्वरूप बदलने के बाद क्या बदलेंगे सियासी हालात
ABP News
जम्मू-कश्मीर में चुनाव से पहले परिसीमन की प्रक्रिया से उठाएंगे राज का परदा, लेकिन पहले मौजूदा माहौल पर नजर फिराना जरूरी है. कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की विश्व पटल पर हाय-तौबा की साजिशों भोथरी हो चुकी है.
राज की बातः दो साल पहले जब गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के पटल पर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को हटाने की ऐलान किया था तो करोड़ों भारतवासियों के लिए एक असम्भव सा स्वप्न पूरा होने जैसा था. कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है, इस राष्ट्रीय संकल्प को ज़मीन पर उठाया गया यह सबसे सशक्त कदम था. मगर पूर्व पीएम और बीजेपी के श्लाका पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी की कवित 'आहुति बाक़ी यज्ञ अधूरा' की तरह मिशन कश्मीर को लेकर कुछ ज़रूरी कदम उठाने बाक़ी थे. तो राज की बात अब इसी कश्मीर यज्ञ की आखिरी आहुति को लेकर, जिसका विधान अब तैयार हो चुका है. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा को भेजकर जो राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने की पीएम मोदी की कोशिश थी वो अब जमीन पर उतरने लगी है और जम्मू-कश्मीर में सभी दलों से बातचीत के बाद न सिर्फ उस दिशा में सरकार आगे बढ़ चुकी है, बल्कि परिसीमन के नए फार्मूले के जरिये राज्य का असंतुलन खत्म कर स्वस्थ लोकतंत्र को स्थापित करने की प्रक्रिया का प्लॉट भी लिखा जा चुका है. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा से मुक्त करने के बाद जिस तरह की आशांकायें तमाम बुद्धिजीवी और राजनीतिक दल लगा रहे थे, वैसा भी कुछ नहीं हुआ. सबसे बड़ी बात अलगाववादी अलग-थलग तो पड़ ही चुके थे, अब उनका कोई नामलेवा भी नहीं बचा. पाकिस्तान को हर अंतरराष्ट्रीय फोरम पर लगातार मुंह की खानी पड़ रही है. अशांति और आतंक फैलाने के उसके हर मंसूबे को राजनयिक और सैन्य हर स्तर पर पस्त किया जा रहा है.More Related News