Punjab Election: 700 साल पुराने संत के हाथ पंजाब में सत्ता की चाभी? जाने कैसे बदल रहे हैं समीकरण
ABP News
Election 2022: संत रविदास की महिमा ऐसी थी कि उनसे प्रभावित होकर कई राजा उनके शिष्य बन गए थे. अब 700 साल बाद कई राजनेता उनके शिष्य नजर आते हैं क्योंकि संत रविदास पंजाब में सत्ता की चाभी बन गए हैं.
Punjab Assembly Election 2022: 15वीं शताब्दी के संत रविदास की आध्यात्मिक सीखें आज भी समाज को नया रास्ता दिखा रही हैं. लेकिन इस बार पंजाब में सियासी रास्ता भी संत रविदास से ही होकर निकलेगा. वैसे तो हर साल संत रविदास जयंती श्रद्धालु पूरे जोर शोर से मनाते हैं लेकिन जगतगुरु संत रविदास की इस साल की जयंती के सियासी मायने बन गए हैं.
संत रविदास की महिमा ऐसी थी कि उनसे प्रभावित होकर कई राजा उनके शिष्य बन गए थे. अब 700 साल बाद कई राजनेता संत रविदास के शिष्य नजर आते हैं क्योंकि संत रविदास पंजाब में सत्ता की चाभी बन गए हैं. इस पूरे सियासी संदर्भ को समझिए. पंजाब को देश की दलित कैपिटल कहा जाता है. क्योंकि यहां दलितों की काफी ज्यादा आबादी है. पंजाब में दलितों की आबादी 32% के आसपास है.