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Pradosh Vrat: इस दिन है मार्च का दूसरा प्रदोष व्रत, जानें महत्व और उपवास के नियम
Zee News
हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है जो भगवान शिव को समर्पित है. प्रदोष व्रत से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. प्रदोष व्रत की पूजा विधि और व्रत के नियम क्या हैं, इस बारे में आइए जानते हैं.
नई दिल्ली: हिंदू पंचांग (Panchang) के अनुसार, प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. एक महीने में दो त्रयोदशी तिथि आती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में. मार्च महीने का दूसरा प्रदोष व्रत () 26 मार्च शुक्रवार को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत का नाम उसके दिन के अनुसार होता है. यानी सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष कहते हैं. इस बार चूंकि त्रयोदशी तिथि शुक्रवार को पड़ रही है इसलिए यह प्रदोष व्रत शुक्र प्रदोष (Shukra Pradosh) कहलाएगा. प्रदोष का व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है. जानें प्रदोष व्रत का क्या है महत्व और व्रत के नियम. जैसा कि नाम से पता चल रहा है प्रदोष का अर्थ है सभी दोषों से रहित. प्रदोष व्रत भगवान शिव () के साथ ही चंद्र देव से भी जुड़ा है. ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले प्रदोष का व्रत चंद्र देव (Chandra Dev) ने ही किया था. जब प्रजापति दक्ष के श्राप के कारण चंद्र देव को क्षय रोग हो गया था, तब उन्होंने हर महीने त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखना शुरू किया था जिसके प्रभाव से महादेव भगवान शिव प्रसन्न हुए और चंद्र देव को क्षय रोग से मुक्ति मिली.More Related News