'PM की डिग्री राजनीतिक मुद्दा नहीं', शरद पवार ने भी निकाली AAP के मुद्दे की हवा
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आम आदमी पार्टी इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री का मुद्दा जमकर उठा रही है. हालांकि AAP के इस मुद्दे को विपक्ष का उतना साथ नहीं मिल रहा है. कांग्रेस इस मुद्दे पर दूरी बनाए हुए है और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने दो टूक कहा है कि पीएम की डिग्री राजनीतिक मुद्दा नहीं है.
गौतम अडानी मुद्दे पर विपक्षी दलों से अलग राय रखने के बाद शरद पवार ने अब पीएम की डिग्री के मुद्दे पर बड़ा बयान देकर विपक्ष के एक और मुद्दे की हवा निकाल दी है. दरअसल दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उद्धव ठाकरे सहित विपक्ष के कई नेता प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल खड़े कर रहें है.रविवार को महाराष्ट्र के नासिक में जब शरद पवार से प्रधानमंत्री के डिग्री विवाद पर सवाल पूछा गया तो पवार ने पलटकर पत्रकारों से ही पूछ लिया. पवार ने कहा कि PM की डिग्री राजनीतिक मुद्दा नहीं है.
दरअसल, आम आदमी पार्टी इन दिनों पीएम मोदी की डिग्री को मुद्दे को लेकर बीजेपी पर हमलावर है.AAP ने रविवार को ही 'डिग्री दिखाओ कैंपेन' शुरू किया जिसके तहत पार्टी के नेता हर दिन लोगों के सामने जाकर अपनी शैक्षिक योग्यता साझा करेंगे. ऐसे में पवार का यह बयान AAP की इस मुहिम को को तगड़ा झटका माना जा रहा है.
क्या कहा पवार ने मीडिया से बात करते हुए पवार ने कहा, 'आज देश के सामने डिग्री का सवाल है क्या, आपकी डिग्री क्या है, मेरी डिग्री क्या है, क्या ये राजनीतिक मुद्दा है? बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, महंगाई ऐसे कई सवाल हैं और इन मुद्दों पर केंद्र सरकार पर हमला करना ही चाहिए. आज धर्म जाति के नाम पर लोगों में दूरियां पैदा की जा रही हैं, आज महाराष्ट्र में बेमौसम बरसात की वजह से फसलें बर्बाद हो गईं, इसपर चर्चा जरूरी है.'
गौर करने वाली बात ये है कि एनसीपी नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार भी पीएम की डिग्री को मुद्दे को बेबुनियाद करार दे चुके हैं. अजीत पवार ने कहा था, 'जहां तक राजनीति में शिक्षा का संबंध है, इसे बहुत महत्व नहीं माना जाता है. महाराष्ट्र में 4 ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो वसंतदादा पाटिल की तरह ज्यादा शिक्षित नहीं थे लेकिन यह प्रशासन कौशल सबसे अच्छा था.'
अजीत पवार ने की थी पीएम की तारीफ
पीएम की डिग्री विवाद और वीर सावरकर के मुद्दे पर राकांपा के अलग-अलग रुख के बारे में पूछे जाने पर अजीत पवार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'मोदी के नाम के तहत जिस पार्टी के पास केवल दो सांसद थे, वह 2014 में पूर्ण जनादेश के साथ आई थी और दूर-दराज के इलाकों में पहुंचे. तो क्या यह मोदी का करिश्मा नहीं है,? 2014 में पूर्ण बहुमत से जीतने के बाद उनके खिलाफ कई बयान दिए गए. उन्हें लोकप्रियता मिली और उनके नेतृत्व में विभिन्न राज्यों में केवल बीजेपी ही जीती और 2019 में भी यही चुनाव दोहराया गया.. तो फिर इन सभी मुद्दों को बाहर निकालने का क्या फायदा 9 साल... लोग उनका काम देख रहे हैं...'
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